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Rang Panchami 2024: देवताओं के साथ होली खेलने का दिन है रंग पंचमी, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि यानी की होली के पांच दिन बाद रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल रंग पंचमी का त्योहार 30 मार्च शनिवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन को ईश्वर की कृपा प्राप्ति के लिए बहुत ही खास माना गया है। मान्यता है कि रंग पंचमी के दिन ही भगवान कृष्ण ने राधा रानी के साथ होली खेली थी।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 26 Mar 2024 10:44 AM (IST)
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Rang Panchami जानिए रंग पंचमी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Rang Panchami 2024 Date: भारत के कई हिस्सों जैसे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात आदि में होली की तरह ही रंग पंचमी का त्योहार भी मनाया जाता है। माना जाता है कि इस विशेष दिन पर देवता भी धरती पर रंगोत्सव मनाने आते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि रंग पंचमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।  

रंग पंचमी शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)

चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 29 मार्च को रात 08 बजकर 20 मिनट पर हो रहा है। वहीं, इस तिथि का समापन 30 मार्च को रात 09 बजकर 13 मिनट पर होने जा रहा है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, रंग पंचमी का त्योहार 30 मार्च, शनिवार के दिन मनाया जाएगा। इस दौरान देवताओं के साथ होली खेलने का समय सुबह 07 बजकर 46 मिनट से सुबह 09 बजकर 19 मिनट तक रहने वाला है।

रंग पंचमी पूजा विधि (Rang Panchami Puja vidhi)

रंग पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इस तिथि पर व्रत भी रखा जाता है। ऐसे में आप व्रत का संकल्प भी धारण कर सकते हैं। इसके बाद पूजा स्थल पर एक चौकी बिछाकर भगवान राधा-कृष्ण की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें। इसके पास तांबे का पानी से भरा कलश भी रखें। इसके बाद राधा-कृष्ण को कुमकुम, चंदन, अक्षत, गुलाब के पुष्प, खीर, पंचामृत, गुड़ चना आदि का भोग लगाएं। इसके बाद राधा-कृष्ण को फूल माला पहनाएं और गुलाल अर्पित करें। पूजन के बाद आरती करें और घर-परिवार के प्रार्थना करें। अब कलश में रखें जल से घर में छिड़काव करें।

रंग पंचमी का महत्व (Rang Panchami Significance)

पौराणिक कथा के अनुसार, जब कामदेव ने भगवान शिव के ध्यान को भंग करने का प्रयत्न किया तब शिव जी ने क्रोधित हो गए और उन्होंने कामदेव को भस्म कर दिया। तब कामदेव की पत्नी देवी रति और अन्य देवताओं के प्रार्थना करने पर, महादेव ने कामदेव को पुनः जीवित कर देने का आश्वासन दिया। इस पर सभी देवतागण प्रसन्न हुए और उन्होंने रंगोत्सव मनाया। इसलिए यह माना जाता है कि रंग पंचमी के अवसर पर देवी-देवता धरती पर आकर रंग, गुलाल या अबीर से होली खेलते हैं।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'