Rang Panchami 2024: रंग पंचमी की पूजा में करें इन मंत्रों का जाप, पूरी होगी हर इच्छा
इस बार रंग पंचमी का पर्व 30 मार्च शनिवार के दिन मनाया जाएगा। भारत के कई हिस्सों जैसे मध्य प्रदेश महाराष्ट्र राजस्थान और गुजरात आदि में यह त्योहार मनाया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर देवी-देवता भी पृथ्वीलोक पर आकर रंग खेलते हैं। ऐसे में आइए पढ़ते हैं रंग पंचमी का शुभ मुहूर्त पूजा विधि और मंत्र।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Rang Panchami Mantra: कई राज्यों में चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली पंचमी तिथि पर रंग पंचमी मनाई जाती है। यह पर्व होली के 5 दिन बाद मनाया जाता है, और इसपर होली की तरह ही रंग से होली खेली जाती है। माना जाता है कि इस तिथि पर देवी-देवताओं को रंग-गुलाल अर्पित करने से जीवन में आ रही कई समस्याओं से राहत मिल सकती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि रंग पंचमी पर किन मंत्रों का जाप लाभकारी हो सकता है।
रंग पंचमी शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)
चैत्र कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि 29 मार्च को रात 08 बजकर 20 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं, यह तिथि 30 मार्च को रात 09 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, रंग पंचमी का त्योहार 30 मार्च, शनिवार के दिन मनाया जाएगा। इस दौरान देवताओं के साथ होली खेलने का समय सुबह 07 बजकर 46 मिनट से सुबह 09 बजकर 19 मिनट तक रहने वाला है।
पूजा विधि (Rang Panchami Puja Vidhi)
रंगपंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाए। इसके बाद घर के मंदिर की सफाई करने के बाद एक चौकी बिछाएं। चौकी पर भगवान राधा-कृष्ण की तस्वीर या प्रतिमा घर के उत्तर दिशा में स्थापित करें। तस्वीर के पास ही तांबे के कलश को पानी से भरकर रख लें। इसके बाद राधा-कृष्ण को कुंकम से तिलक लगाएं और फूल माला पहनाएं। इसके बाद देवी-देवताओं को रंग अर्पित करें और गाय के घी का दीपक जलाएं। अंत में श्रद्धापूर्वक आरती करें। फिर आसन पर बैठकर मंत्रों का जाप करें।करें इन मंत्रों का जाप
- ओम ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवते राधाप्रियाय राधारमणाय गोपीजनवल्लभाय ममाभीष्टं पूरय पूरय हुं फट् स्वाहा।
- श्रीं ह्रीं क्लीं कृष्णाय नमः' ओम कृष्णाय वद्महे दामोगराय धीमहि तन्नः कृष्ण प्रचोदयात्।
- ओम प्रेमधनरूपिण्यै प्रेमप्रदायिन्यै श्रीराधायै स्वाहा।
- देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते! देहिमे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:!!'
- ओम् क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्ल्भाय स्वाहा।'
- ॐ श्रीं श्रीये नमः
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