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Surya Dev Puja: जीवन के संकटों से न हों परेशान, सूर्य देव की पूजा से सभी समस्या का होगा अंत

सनातन धर्म में सूर्य देव की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि रोजाना सुबह स्नान करने के बाद सूर्य देव (Surya Dev Puja) को जल अर्पित और विधिपूर्वक उपासना करने से साधक को कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और सभी मुरादें जल्द पूरी होती हैं। चलिए जानते हैं सूर्य देव की कृपा किस तरह प्राप्त की जा सकती है?

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 25 Aug 2024 06:30 AM (IST)
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Surya Dev: इस तरह करें सूर्य देव को प्रसन्न

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Raviwar Ke Upay: सनातन धर्म में रविवार के दिन सूर्य देव की उपासना करने का विधान है। साथ ही जीवन में आ रही सभी तरह की परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए व्रत भी किया जाता है। अगर आप भी सूर्य देव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा करें और अंत में आरती करना न भूलें। सूर्य देव की आरती करने से जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।

भगवान सूर्य देव की आरती (Bhagwan Surya Dev Ji Ki Aarti)

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

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।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।