Bajrang Baan: विशेष कार्य सिद्धि के लिए आज मंगलवार को करें बजरंग बाण का पाठ
Bajarang Baan आज मंगलवार का दिन रामभक्त और संकटमोचन हनुमान जी की आराधना के लिए समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आपको अपने किसी विशेष कार्य की सिद्धि के लिए आज मंगलवार के दिन बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए।
By Kartikey TiwariEdited By: Updated: Tue, 02 Mar 2021 08:44 AM (IST)
Bajrang Baan: आज मंगलवार का दिन रामभक्त और संकटमोचन हनुमान जी की आराधना के लिए समर्पित है। आज के दिन हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है क्योंकि मंगलवार के दिन ही उनका जन्म हुआ था। कहा जाता है कि किसी भी देवी देवता को उसके प्रकट या जन्म दिवस के दिन पूजा करके जल्द प्रसन्न किया जा सकता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आपको अपने किसी विशेष कार्य की सिद्धि के लिए आज मंगलवार के दिन बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए। बजरंग बाण का पाठ करने से वह इच्छित कार्य पूर्ण हो सकता है। जागरण अध्यात्म में आज आप पढ़ें बजरंग बाण।
बजरंग बाणदोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
चौपाईजय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।जनके काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा।आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका।जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर यमकातर तोरा।अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर मह भई।अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी।जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होइ दुख करहु निपाता।
जय गिरिधर जय जय सुखसागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर।ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले।गदा बज्र लै बैरिहि मारो। महारज प्रभु दास उबारो।ओंकार हुंकार महाबीर धावो। वज्र गदा हनु बिलम्ब न लावो।ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।सत्य होहु हरि शपथ पायके। राम दूत धरु मारु जायके।जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दा तुम्हारा।वन उपवन मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।पांय परौं कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकर सुवन वीर हनुमंता।बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रति पालक।भूत प्रेत पिशाच निशाचर, अग्नि बैताल काल मारीमर।इन्हें मारु तोहिं सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।
जनक सुता हरिदास कहावो। ताकी सपथ विलंब न लावो।जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुख नाशा।चरण-शरण कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।उठु-उठु चलु तोहिं राम दोहाई। पांय परौं कर जोरि मनाई।ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता।ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल। ओम सं सं सहमि पराने खल दल।अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होत आनंद हमारो।
यहि बजरंग बाण जेहि मारे। ताहि कहो फिर कौन उबारे।पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करैं प्राण की।यह बजरंग बाण जो जापै। तेहि ते भूत प्रेत सब कांपै।धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तनु नहिं रहे कलेशा।दोहाप्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान।तेहि के कारज शकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।डिसक्लेमर'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न ध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '