Gayatri Jayanti 2024: गायत्री जयंती पर पूजा के समय जरूर करें ये आरती, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति
धार्मिक मत है कि मां गायत्री की उपासना करने से साधक के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। साथ ही घर में सुख-समृद्धि एवं खुशहाली का संचरण होता है। सामान्य दिनों में भी साधक पूजा के समय गायत्री मंत्र का जप करते हैं। ज्योतिष ध्यान के समय गायत्री मंत्र जप करने की सलाह देते हैं। इस मंत्र के जप से साधक को नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Gayatri Jayanti 2024: सनातन पंचांग के अनुसार, 17 जून को गायत्री जयंती है। यह पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन मनाया जाता है। इस दिन वेदों की माता मां गायत्री की पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि पाने के लिए व्रत रखा जाता है। मां गायत्री को वेदों में सावित्री कहा जाता है। गायत्री मंत्र की अधिष्ठात्री मां गायत्री हैं। हालांकि, जानकारों में मां गायत्री और सावित्री को एक ही मानने पर मतभेद है। धार्मिक मत है कि मां गायत्री की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके लिए साधक गायत्री जयंती पर वेद माता की विधि-विधान से पूजा करते हैं। अगर आप भी मां गायत्री की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो गायत्री जयंती पर विधि-विधान से पूजा करें। साथ ही पूजा के अंत में ये आरती जरूर करें।
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गायत्री आरती
जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता।
सत् मार्ग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता॥
जय गायत्री माता...
आदि शक्ति तुम अलख निरञ्जन, जग पालन कर्त्री।
दुःख, शोक, भय, क्लेश, कलह दारिद्रय दैन्य हर्त्री॥
जय गायत्री माता...
ब्रह्म रुपिणी, प्रणत पालिनी, जगतधातृ अम्बे।
भवभयहारी, जनहितकारी, सुखदा जगदम्बे॥
जय गायत्री माता...
भयहारिणि भवतारिणि अनघे, अज आनन्द राशी।
अविकारी, अघहरी, अविचलित,अमले, अविनाशी॥
जय गायत्री माता...
कामधेनु सत् चित् आनन्दा, जय गंगा गीता।
सविता की शाश्वती शक्ति, तुम सावित्री सीता॥
जय गायत्री माता...
ऋग्, यजु, साम, अथर्व, प्रणयिनी, प्रणव महामहिमे।
कुण्डलिनी सहस्त्रार, सुषुम्ना, शोभा गुण गरिमे॥
जय गायत्री माता...
स्वाहा, स्वधा,शची, ब्रह्माणी, राधा, रुद्राणी।
जय सतरुपा, वाणी, विघा, कमला, कल्याणी॥
जय गायत्री माता...
जननी हम है, दीन, हीन, दुःख, दरिद्र के घेरे।
यदपि कुटिल, कपटी कपूत, तऊ बालक है तेरे॥
जय गायत्री माता...
स्नेह सनी करुणामयी माता, चरण शरण दीजै।
बिलख रहे हम शिशु सुत तेरे, दया दृष्टि कीजै॥
जय गायत्री माता...
काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव, द्वेष हरिये।
शुद्ध बुद्धि, निष्पाप हृदय, मन को पवित्र करिये॥
जय गायत्री माता...
तुम समर्थ सब भाँति तारिणी, तुष्टि,पुष्टि त्राता।
सत् मारग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता॥
जय गायत्री माता...
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