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Bada Mangal 2024: बड़े मंगल पर हनुमान जी की पूजा करते समय जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, पूरी होगी मनचाही मुराद

सनातन शास्त्रों में निहित है कि ज्येष्ठ माह के प्रथम मंगलवार को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और उनके परम भक्त हनुमान जी की भेंट हुई थी। अतः ज्येष्ठ माह के प्रत्येक मंगलवार पर बुढवा मंगल मनाया जाता है। इस दिन भक्ति भाव से हनुमान जी की पूजा की जाती है। बड़े मंगल पर राम परिवार संग हनुमान जी की पूजा करने से साधक के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Mon, 10 Jun 2024 05:35 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jun 2024 05:35 PM (IST)
Bada Mangal 2024: बड़े मंगल पर हनुमान जी की पूजा करते समय जरूर पढ़ें यह व्रत कथा

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bada Mangal 2024: सनातन धर्म में ज्येष्ठ माह के प्रत्येक मंगलवार के दिन राम भक्त हनुमान जी की विशेष पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही मंगलवार का व्रत भी रखा जाता है। इस दिन बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल भी कहा जाता है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि ज्येष्ठ माह के प्रथम मंगलवार के दिन हनुमान जी को अपने आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम से भेंट हुई थी। इसके लिए ज्येष्ठ माह के हर मंगलवार पर बड़ा मंगल मनाया जाता है। धार्मिक मत है कि बड़ा मंगल पर राम परिवार संग हनुमान जी की पूजा करने से साधक के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। साथ ही आय और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। अगर आप भी मनचाहा वर पाना चाहते हैं, तो ज्येष्ठ माह के तीसरे बड़े मंगल पर विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय यह व्रत कथा का पाठ या श्रवण अवश्य करें।

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व्रत कथा

प्राचीन समय की बात है। एक गांव में ब्राह्मण दंपति रहता है। दंपति को कोई संतान नहीं थी। इसके लिए पति और पत्नी दोनों चिंतित और दुखी रहते थे। ब्राह्मण की पत्नी हनुमान जी की भक्त थी। एक दिन पत्नी से सलाह लेकर ब्राह्मण वन की ओर प्रस्थान कर गए। वन में ब्राह्मण व्यक्ति हनुमान जी की तपस्या करने लगे। वहीं, ब्राह्मण की धर्मपत्नी घर पर हनुमान जी की पूजा करती थी। साथ ही मंगलवार के दिन व्रत उपवास भी रखती थी। इस दिन विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा करती थी और हनुमान जी को भोग लगाने के बाद ही भोजन ग्रहण करती थी।

एक बार की बात है, जब ब्राह्मण की धर्मपत्नी हनुमान जी को भोग लगाना भूल गई। इसके बाद महिला को अहसास हुआ कि उससे बड़ी गलती हुई है। उसी समय ब्राह्मण महिला ने प्रण किया कि अगले मंगलवार को भोग लगाने के बाद भी भोजन ग्रहण करूंगी। तब तक अन्न का एक दाना भी ग्रहण नहीं करूंगी। लगातार पांच दिनों तक भूखे रहने के चलते महिला की सेहत बिगड़ गई। मंगलवार के दिन महिला मूर्छित हो गई। यह देख हनुमान जी को दया आ गई। उस समय हनुमान जी ने दर्शन देकर सारी मनोकामना पूर्ण की।

कालांतर में ब्राह्मण महिला को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। महिला ने अपने पुत्र का नाम मंगल रखा। कुछ समय के बाद ब्राह्मण घर लौटा तो मंगल को देखा। अनजाने बच्चे को घर में देख ब्राह्मण अपनी धर्मपत्नी से बोला- ये बालक कौन है? ब्राह्मण की पत्नी ने कहा कि ये मंगल है और अपना पुत्र है। हालांकि, ब्राह्मण को विश्वास नहीं हुआ। उसके बाद ब्राह्मण ने एक दिन मौका पाकर बालक मंगल को कुएं में धकेल दिया। ब्राह्मण को लगा कि मंगल अब बच नहीं पाएगा। इसके बाद ब्राह्मण घर लौट आया।

घर पर ब्राह्मण की धर्मपत्नी ने किसी काम के लिए मंगल को पुकारा। उस समय मंगल अपने पिता के पीछे खड़ा था। वह आवाज देकर बोला- मां मैं यही हूं। बालक मंगल को देख ब्राह्मण सकते में आ गया। उस रात ब्राह्मण को नींद नहीं आ रही थी। अपने किए पर दुख हो रहा था। उस समय ब्राह्मण ने हनुमान जी से क्षमा याचना की। तब हनुमान जी ने सपने में आकर ब्राह्मण को बोला- मेरे आशीर्वाद से तुम्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। यह जान ब्राह्मण बेहद प्रसन्न हुआ। इसके बाद ब्राह्मण दंपति हर मंगलवार को श्रद्धा भाव से हनुमान जी की पूजा करने लगे। साथ ही मंगलवार का व्रत रखने लगे।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


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