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Radha Ji Ki Aarti: बुधवार को पूजा के समय जरूर करें ये आरती, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

शास्त्रों में निहित है कि राधा रानी के मंत्र जप से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अतः बड़े-बड़े ऋषि-मुनि एवं साधु-संत नाम जप करने की सलाह देते हैं। धार्मिक मत है कि राधा रानी की पूजा-उपासना करने से साधक को सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही साधक के घर में सुख-समृद्धि एवं खुशहाली बनी रहती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 29 May 2024 08:00 AM (IST)
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Radha Ji Ki Aarti: बुधवार को पूजा के समय जरूर करें ये आरती, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Radha Ji Ki Aarti: बुधवार के दिन भगवान श्रीकृष्ण संग राधा रानी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्ति बुधवार का व्रत भी रखा जाता है। राधा रानी को कई नामों से जाना जाता है। इनमें माधवी, श्रीजी, राधारानी, किशोरी और कृष्णप्रिया आदि प्रसिद्ध हैं। शास्त्रों में निहित है कि राधा रानी के मंत्र जप से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। अतः बड़े-बड़े ऋषि-मुनि एवं साधु-संत नाम जप करने की सलाह देते हैं। धार्मिक मत है कि राधा रानी की पूजा-उपासना करने से साधक को सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही साधक के घर में सुख-समृद्धि एवं खुशहाली बनी रहती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से बुधवार के दिन विधिपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण एवं राधा रानी की पूजा करते हैं। अगर आप भी श्रीजी को अपनी पूजा-भक्ति से प्रसन्न करना चाहते हैं, तो बुधवार को विधिपूर्वक पूजा करें। साथ ही पूजा के दौरान राधा चालीसा का पाठ, मंत्रों का जप करें। वहीं, पूजा के समापन राधा जी की ये आरती जरूर करें।

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राधा आरती

आरती श्री वृषभानुसुता की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की।

त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेकविराग विकासिनि।

पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि, सुन्दरतम छवि सुन्दरता की॥

आरती श्री वृषभानुसुता की...

मुनि मन मोहन मोहन मोहनि, मधुर मनोहर मूरति सोहनि।

अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि, प्रिय अति सदा सखी ललिता की॥

आरती श्री वृषभानुसुता की...

संतत सेव्य सत मुनि जनकी, आकर अमित दिव्यगुन गनकी।

आकर्षिणी कृष्ण तन मन की, अति अमूल्य सम्पति समता की॥

आरती श्री वृषभानुसुता की...

कृष्णात्मिका कृष्ण सहचारिणि, चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि।

जगज्जननि जग दुःखनिवारिणि, आदि अनादि शक्ति विभुता की॥

आरती श्री वृषभानुसुता की...

देवी राधिका आरती

आरति श्रीवृषभानुलली की। सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥

भयभन्जिनि भव-सागर-तारिणि,पाप-ताप-कलि-कल्मष-हारिणि,

दिव्यधाम गोलोक-विहारिणि,जनपालिनि जगजननि भली की॥

आरति श्रीवृषभानुलली की...

अखिल विश्व-आनन्द-विधायिनि,मंगलमयी सुमंगलदायिनि,

नन्दनन्दन-पदप्रेम प्रदायिनि,अमिय-राग-रस रंग-रली की॥

आरति श्रीवृषभानुलली की...

नित्यानन्दमयी आह्लादिनि,आनन्दघन-आनन्द-प्रसाधिनि,

रसमयि, रसमय-मन-उन्मादिनि,सरस कमलिनी कृष्ण-अली की॥

आरति श्रीवृषभानुलली की...

नित्य निकुन्जेश्वरि राजेश्वरि,परम प्रेमरूपा परमेश्वरि,

गोपिगणाश्रयि गोपिजनेश्वरि,विमल विचित्र भाव-अवली की॥

आरति श्रीवृषभानुलली की...

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।