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Amarnath Katha: पवित्र अमरनाथ यात्रा की शिव-पार्वती कथा, अजर-अमर होने का रहस्य

Amarnath Katha माता पार्वती ने कहा आप मुझे भी अजर-अमर होने का रहस्य बताइए। क्या आपके गले में पड़ी नरमुड़ माला आपके अमर होने का रहस्य है? महादेव पहले कुछ नहीं बोले लेकिन पत्नी की जिद्द की वजह से इस रहस्य का खुलासा किया।

By Ritesh SirajEdited By: Updated: Sat, 26 Jun 2021 04:35 PM (IST)
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अमरनाथ यात्रा को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया गया है।

Amarnath Katha :अमरनाथ यात्रा को लगातार दूसरे साल भी कोरोना वायरस की वजह से रोकना पड़ रहा है। यह यात्रा 28 जून से शुरू होकर 22 अगस्त को खत्म होती। हालांकि हमेशा की तरह इस बार भी यात्रा की पारंपरिक पूजा की जाएगी। अमरनाथ यात्रा को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया गया है। मान्यताओं के अनुसार, इस यात्रा को करने मात्र से 23 तीर्थों का पुण्य प्राप्त हो जाता है। हिमालय पर भगवान शिव के मंदिर की गुफा है, जिसके दर्शन के लिए हर साल श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। आज हम अमरनाथ यात्रा की कथा के बारे में जानेंगे।

अमरनाथ की कथा

हिंदू धर्म के अनुसार एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि मुझे आपकी अर्धांगिनी बनने के लिए हर जन्म में कठोर तपस्या करना पड़ता है। लेकिन आप तो अजर-अमर हैं। आप मुझे भी अजर-अमर होने का रहस्य बताइए। क्या आपके गले में पड़ी नरमुड़ माला आपके अमर होने का रहस्य है? महादेव पहले कुछ नहीं बोले , लेकिन पत्नी की जिद्द की वजह से इस रहस्य का खुलासा किया।

भगवान शिव नहीं चाहते थे कि कोई भी प्राणी इस गूढ़ रहस्य को जाने वरना पृथ्वी का संतुलन बिगड़ सकता है। इसके लिए उन्होंने एक जगह चुनी और उस ओर चल पड़े। रास्ते में उन्होंने सबसे पहले नंदी बैल, सर्प, चंद्रमा, पुत्र गणेश और पंचतत्वों समेत सभी चीजों का त्याग कर दिया।

भगवान शिव पार्वती के साथ चलते-चलते अमरनाथ गुफा पहुंचे, सुरक्षित जगह समझकर शिव ने कथा सुनाना शुरू किया। कथा के बीच-बीच में मां हुंकार भर रही थी लेकिन सुनते-सुनते उन्हें नींद आ गई। यह कथा शुक पक्षी सुन रहा था माता के सोने के बाद वह हुंकार भरना शुरू कर दिया। जब शिव को पता चला तो वह शुक को मारने उसके पीछे दौड़ पड़े। लेकिन कथा सुनकर शुक चालाक हो गया था।

तीनों लोकों में भागने के बाद वह महर्षि व्यास जी के आश्रम में पहुंचा, वहां सुक्ष्म रूप धारण करके माता वाटिका के गर्भ में समाहित हो गया। 12 साल तक गर्भ में रहने के बाद भी बाहर नहीं निकलना तो भगवान कृष्ण स्वंय आकर उन्हें आश्वासन दिए कि आप बाहर आइए आपके ऊपर माया का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस आश्वासन के बाद वे बाहर आएं और व्यास पुत्र शुकदेव मुनि कहलाएं।अमरनाथ से जुड़ी अन्य और भी कथाएं प्रचलित हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।