Move to Jagran APP

Guruvar Ke Upay: पाना चाहते हैं भगवान विष्णु का आशीर्वाद, तो गुरुवार के दिन जरूर करें ये पाठ

Guruvar Ke Upay ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में गुरु मजबूत रहने से जातक को भाग्य का पूरा साथ मिलता है। जातक को हर कार्य में सफलता मिलती है। अविवाहित जातकों की शीघ्र शादी हो जाती है। अतः गुरुवार के दिन श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 17 May 2023 12:27 PM (IST)
Hero Image
Guruvar Ke Upay: पाना चाहते हैं भगवान विष्णु का आशीर्वाद, तो गुरुवार के दिन जरूर करें ये पाठ
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Guruvar Ke Upay: सनातन धर्म में गुरुवार का दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा उपासना की जाती है। साथ ही देव गुरु बृहस्पति की पूजा भक्ति की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि गुरुवार के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की विधिवत पूजा करने से घर में सुख और समृद्धि आती है। साथ ही कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होता है। ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में गुरु मजबूत रहने से जातक को भाग्य का पूरा साथ मिलता है। जातक को हर कार्य में सफलता मिलती है। अविवाहित जातकों की शीघ्र शादी हो जाती है। अतः गुरुवार के दिन श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की भक्ति करनी चाहिए। अगर आप भी मन मुताबिक सफलता पाना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन बृहस्पति स्तोत्र का पाठ जरूर करें-

॥ विष्णु शान्ताकारं मंत्र ॥

शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।

लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं

वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥

यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे: ।

सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा: ।

ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो

यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम: ॥

बृहस्पति स्तोत्र

क्रौं शक्रादि देवै: परिपूजितोसि त्वं जीवभूतो जगतो हिताय।

ददाति यो निर्मलशास्त्रबुद्धिं स वाक्पतिर्मे वितनोतु लक्ष्मीम्।।1।।

पीताम्बर: पीतवपु: किरीटश्र्वतुर्भजो देव गुरु: प्रशांत:।

दधाति दण्डं च कमण्डलुं च तथाक्षसूत्रं वरदोस्तुमहम्।।2।।

ब्रहस्पति: सुराचार्योदयावानछुभलक्षण:।

लोकत्रयगुरु: श्रीमान्सर्वज्ञ: सर्वतो विभु:।।3।।

सर्वेश: सर्वदा तुष्ठ: श्रेयस्क्रत्सर्वपूजित:।

अकोधनो मुनिश्रेष्ठो नितिकर्ता महाबल:।।4।।

विश्र्वात्मा विश्र्वकर्ता च विश्र्वयोनिरयोनिज:।

भूर्भुवो धनदाता च भर्ता जीवो जगत्पति:।।5।।

पंचविंशतिनामानि पुण्यानि शुभदानि च।

नन्दगोपालपुत्राय भगवत्कीर्तितानि च।।6।।

प्रातरुत्थाय यो नित्यं कीर्तयेत्तु समाहितः।

विप्रस्तस्यापि भगवान् प्रीत: स च न संशय:।।7।।

तंत्रान्तरेपि नम: सुरेन्द्रवन्धाय देवाचार्याय ते नम:।

नमस्त्त्वनन्तसामर्थ्य वेदसिद्वान्तपारग।।8।।

सदानन्द नमस्तेस्तु नम: पीड़ाहराय च।

नमो वाचस्पते तुभ्यं नमस्ते पीतवाससे।।9।।

नमोऽद्वितियरूपाय लम्बकूर्चाय ते नम:।

नम: प्रहष्टनेत्राय विप्राणां पतये नम:।।10।।

नमो भार्गवशिष्याय विपन्नहितकारक।

नमस्ते सुरसैन्याय विपन्नत्राणहेतवे।।11।।

विषमस्थस्तथा न्रणां सर्वकष्टप्रणाशमन्।

प्रत्यहं तु पठेधो वै तस्यकामफलप्रदम्।।12।।

गुरु स्तोत्र

पीताम्बर: पीतवपु: किरीटी,

चतुर्भुजो देवगुरु: प्रशान्त: ।

दधाति दण्डं च कमण्डलुं च,

तथाक्षसूत्रं वरदोस्तु मह्यम ॥1॥

नम: सुरेन्द्रवन्द्याय देवाचार्याय ते नम: ।

नमस्त्वनन्तसामर्थ्यं देवासिद्धान्तपारग ॥2॥

सदानन्द नमस्तेस्तु नम: पीडाहराय च ।

नमो वाचस्पते तुभ्यं नमस्ते पीतवाससे ॥3॥

नमोsद्वितीयरूपाय लम्बकूर्चाय ते नम: ।

नम: प्रह्रष्टनेत्राय विप्राणां पतये नम: ॥4॥

नमो भार्गवशिष्याय विपन्नहितकारक: ।

नमस्ते सुरसैन्याय विपन्नत्राणहेतवे ॥5॥

विषमस्थस्तथा नृणां सर्वकष्टप्रणाशनम ।

प्रत्यहं तु पठेद्यो वै तस्य कामफलप्रदम ॥6॥

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'