Move to Jagran APP

Shiv Stotra: शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय करें इस स्तोत्र का पाठ, दुख और गरीबी होगी दूर

धार्मिक मत है कि भगवान शिव ( Daridra Dahan Shiv Stotram) की पूजा करने से विवाहित स्त्रियों के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। वहीं अखंड सुहाग का वरदान भी प्राप्त होता है। वहीं अविवाहित लड़कियों की शीघ्र शादी के योग बनते हैं। इसके लिए साधक श्रद्धा भाव से सोमवार के दिन देवों के देव महादेव की पूजा करते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Sun, 23 Jun 2024 04:20 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jun 2024 04:20 PM (IST)
Shiv Stotra: भगवान शिव को कैसे प्रसन्न करें?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shiv Stotra In Hindi: सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही भगवान शिव के निमित्त सोमवारी व्रत रखा जाता है। इस व्रत की महिमा का गुणगान शिव पुराण में विस्तार से किया गया है। चिर काल में जगत जननी मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए सोमवारी व्रत किया था। इस व्रत के पुण्य फल से भगवान शिव एवं मां पार्वती परिणय सूत्र में बंधे थे। अतः सोमवारी व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत को सभी वर्ग के लोग कर सकते हैं। विवाहित स्त्रियां सुख-सौभग्य में वृद्धि और पति की लंबी आयु के लिए सोमवार के दिन व्रत रखती हैं। वहीं, कुंवारी लड़कियां शीघ्र विवाह के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत को करने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। अगर आप भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं, तो सोमवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से महादेव की पूजा करें। वहीं, शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय इस स्तोत्र का पाठ करें।

यह भी पढ़ें: आखिर किस वजह से कौंच गंधर्व को द्वापर युग में बनना पड़ा भगवान गणेश की सवारी?


दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र

विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय ।

कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥

गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय ।

गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥

भक्तप्रियाय भवरोगभयापहाय उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय ।

ज्योतिर्मयाय गुणनामसुकृत्यकाय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥

चर्मांबराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय ।

मंजीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥

पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय ।

आनन्दभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥

गौरीविलासभवनाय महेश्वराय पञ्चाननाय शरणागतकल्पकाय ।

शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥

भानुप्रियाय भवसागरतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय ।

नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥

रामप्रियाय राघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय ।

पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय ।

मातङ्गचर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्‌र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥

वसिष्ठेनकृतं स्तोत्रं सर्व दारिद्‌र्यनाशनम् ।

सर्वसंपत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम् ॥

यह भी पढ़ें: कब और कैसे हुई धन की देवी की उत्पत्ति? जानें इससे जुड़ी कथा एवं महत्व

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.