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Hanumat Bisa: मंगलवार को पूजा के दौरान करें हनुमत बीसा का पाठ, आर्थिक तंगी से मिलेगी निजात

सनातन शास्त्रों में निहित है कि मंगलवार के दिन हनुमान जी की भेंट मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम से हुई थी। इसके लिए मंगलवार का दिन हनुमान जी को प्रिय है। इस दिन साधक राम परिवार संग हनुमान जी की विशेष पूजा करते हैं। बजरंगबली की पूजा (Hanuman Ji Puja Vidhi) करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 30 Sep 2024 09:00 PM (IST)
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Lord Hanuman: हनुमान जी को कैसे प्रसन्न करें ?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की लीला अपरंपार है। मंगलवार के दिन भक्तगण श्रद्धा भाव से बजरंगबली की पूजा करते हैं। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए मंगलवार का व्रत रखते हैं। धार्मिक मत है कि हनुमान जी की पूजा करने से सकल कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। अगर आप आर्थिक तंगी से निजात पाना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन भक्ति भाव से पवनसुत हनुमान जी की पूजा (Mangalvar Vrat Importance) करें। वहीं, पूजा के समय हनुमत बीसा का पाठ अवश्य करें।  

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हनुमत बीसा

राम भक्त विनती करूँ,सुन लो मेरी बात ।

दया करो कुछ मेहर उपाओ, सिर पर रखो हाथ ।।

।। चौपाई ।।

जय हनुमन्त, जय तेरा बीसा,कालनेमि को जैसे खींचा ।।

करुणा पर दो कान हमारो,शत्रु हमारे तत्क्षण मारो ।।

राम भक्त जय जय हनुमन्ता, लंका को थे किये विध्वंसा ।।

सीता खोज खबर तुम लाए, अजर अमर के आशीष पाए ।।

लक्ष्मण प्राण विधाता हो तुम,राम के अतिशय पासा हो तुम ।।

जिस पर होते तुम अनुकूला, वह रहता पतझड़ में फूला ।।

राम भक्त तुम मेरी आशा, तुम्हें ध्याऊँ मैं दिन राता ।।

आकर मेरे काज संवारो, शत्रु हमारे तत्क्षण मारो ।।

तुम्हरी दया से हम चलते हैं, लोग न जाने क्यों जलते हैं ।।

भक्त जनों के संकट टारे, राम द्वार के हो रखवारे ।।

मेरे संकट दूर हटा दो, द्विविधा मेरी तुरन्त मिटा दो ।।

रुद्रावतार हो मेरे स्वामी, तुम्हरे जैसा कोई नाहीं ।।

ॐ हनु हनु हनुमन्त का बीसा, बैरिहि मारु जगत के ईशा ।।

तुम्हरो नाम जहाँ पढ़ जावे, बैरि व्याधि न नेरे आवे ।।

तुम्हरा नाम जगत सुखदाता, खुल जाता है राम दरवाजा ।।

संकट मोचन प्रभु हमारो, भूत प्रेत पिशाच को मारो ।।

अंजनी पुत्र नाम हनुमन्ता, सर्व जगत बजता है डंका ।।

सर्व व्याधि नष्ट जो जावे, हनुमद् बीसा जो कह पावे ।।

संकट एक न रहता उसको, हं हं हनुमंत कहता नर जो ।।

ह्रीं हनुमंते नमः जो कहता,उससे तो दुख दूर ही रहता ।।

।। दोहा।।

मेरे राम भक्त हनुमन्ता, कर दो बेड़ा पार ।

हूँ दीन मलीन कुलीन बड़ा, कर लो मुझे स्वीकार ।।

राम लखन सीता सहित, करो मेरा कल्याण ।

ताप हरो तुम मेरे स्वामी, बना रहे सम्मान ।।

प्रभु राम जी माता जानकी जी, सदा हों सहाई ।

संकट पड़ा यशपाल पे, तभी आवाज लगाई ।।

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