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Maa Laxmi की पूजा के समय करें लक्ष्मीनृसिंह स्तोत्र का पाठ, आर्थिक तंगी से मिलेगी निजात

शुक्रवार के दिन धन के देवता कुबेर देव (Kuber Dev) की पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक मत है कि कुबेर देव की उपासना करने से साधक को आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है। साथ ही उपासक को जीवन में मन मुताबिक सफलता मिलती है। साधक मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए भी शुक्रवार के दिन लक्ष्मी वैभव व्रत रखते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 29 Aug 2024 09:30 PM (IST)
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Maa Laxmi: मां लक्ष्मी को कैसे प्रसन्न करें?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शुक्रवार का दिन धन की देवी मां लक्ष्मी को बेहद प्रिय है। इस दिन श्रद्धा भाव से मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही मां लक्ष्मी के निमित्त लक्ष्मी वैभव व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। ज्योतिष भी धन संबंधी परेशानी को दूर करने के लिए लक्ष्मी वैभव व्रत (Laxmi Vaibhav Vrat) करने की सलाह देते हैं। धार्मिक मत है कि मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है। अतः साधक शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की कठिन उपासना करते हैं। अगर आप भी मां लक्ष्मी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय लक्ष्मीनृसिंह स्तोत्र का पाठ का अवश्य करें।

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॥ श्री लक्ष्मीनृसिंह स्तोत्रम् ॥

श्रीमत्पयोनिधिनिकेतन चक्रपाणेभोगीन्द्रभोगमणिरञ्जितपुण्यमूर्ते।

योगीश शाश्वत शरण्य भवाब्धिपोतलक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्॥

ब्रह्मेन्द्ररुद्रमरुदर्ककिरीटकोटिसङ्घट्टिताङ्घ्रिकमलामलकान्तिकान्त।

लक्ष्मीलसत्कुचसरोरुहराजहंसलक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्॥

संसारघोरगहने चरतो मुरारेमारोग्रभीकरमृगप्रचुरार्दितस्य।

आर्तस्य मत्सरनिदाघनिपीडितस्यलक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्॥

संसारकूपमतिघोरमगाधमूलंसम्प्राप्य दुःखशतसर्पसमाकुलस्य।

दीनस्य देव कृपणापदमागतस्यलक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्॥

संसारसागरविशालकरालकालनक्रग्रहग्रसननिग्रहविग्रहस्य।

व्यग्रस्य रागनिचयोर्मिनिपीडितस्यलक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्॥

संसारवृक्षमघबीजमनन्तकर्मशाखाशतं करणपत्रमनङ्गपुष्पम्।

आरुह्य दुःखफलिनं पततो दयालोलक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्॥

संसारसर्पघनवक्त्रभयोग्रतीव्रदंष्ट्राकरालविषदग्धविनष्टमूर्तेः।

नागारिवाहन सुधाब्धिनिवास शौरेलक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्॥

संसारदावदहनातुरभीकरोरुज्वालावलीभिरतिदग्धतनूरुहस्य।

त्वत्पादपद्मसरसीशरणागतस्यलक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्॥

संसारजालपतितस्य जगन्निवाससर्वेन्द्रियार्तबडिशार्थझषोपमस्य।

प्रोत्खण्डितप्रचुरतालुकमस्तकस्यलक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्॥

संसारभीकरकरीन्द्रकराभिघातनिष्पिष्टमर्मवपुषः सकलार्तिनाश।

प्राणप्रयाणभवभीतिसमाकुलस्यलक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्॥

अन्धस्य मे हृतविवेकमहाधनस्यचोरैः प्रभो बलिभिरिन्द्रियनामधेयैः।

मोहान्धकूपकुहरे विनिपातितस्यलक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्॥

लक्ष्मीपते कमलनाभ सुरेश विष्णोवैकुण्ठ कृष्ण मधुसूदन पुष्कराक्ष।

ब्रह्मण्य केशव जनार्दन वासुदेवदेवेश देहि कृपणस्य करावलम्बम्॥

यन्माययोर्जितवपुः प्रचुरप्रवाहमग्नार्थमत्र निवहोरुकरावलम्बम्।

लक्ष्मीनृसिंहचरणाब्जमधुव्रतेनस्तोत्रं कृतं सुखकरं भुवि शङ्करेण॥

लाभ

ज्योतिष भी आर्थिक तंगी से निजात पाने के लिए पूजा के समय श्री लक्ष्मीनृसिंह स्तोत्र का पाठ करने की सलाह देते हैं। इस स्तोत्र के पाठ से धन संबंधी परेशानी दूर होती है। इसके साथ ही शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से भी मुक्ति मिलती है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।