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Mahadev Ki Aarti: भगवान शिव की पूजा के समय जरूर करें ये आरती, पूरी होगी मनचाही मुराद

ज्योतिषीय गणना के अनुसार सोमवार 09 जुलाई यानी आज गुप्त नवरात्र की तृतीया है। इस तिथि पर जगत जननी मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव संग जगत की देवी शक्ति स्वरूपा मां चंद्रघंटा की पूजा की जा रही है। साथ ही मां चंद्रघंटा के निमित्त व्रत भी रखा जा रहा है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 08 Jul 2024 08:00 AM (IST)
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Mahadev Ki Aarti: इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mahadev Ki Aarti: सनातन धर्म में सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को पूर्णतया समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही सोमवार का व्रत रखा जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से कुंडली में चंद्र और शुक्र ग्रह मजबूत होता है। कुंडली में चंद्र ग्रह मजबूत होने से जातक हमेशा प्रसन्नचित्त रहता है। साथ ही सभी प्रकार के शुभ कार्यों में सिद्धि मिलती है। वहीं, कुंडली में शुक्र मजबूत होने से जातक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। अगर आप भी देवों के देव महादेव को प्रसन्न कर उनकी कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो सोमवार के दिन विधि पूर्वक भगवान शिव की पूजा करें। इस समय शिव चालीसा का पाठ और शिव मंत्रों का जप करें। वहीं, पूजा के अंत में ये आरती जरूर करें।

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माँ चंद्रघंटा ध्यान मंत्र

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहारूढा चन्द्रघण्टा यशस्विनीम्॥

मणिपुर स्थिताम् तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।

खङ्ग, गदा, त्रिशूल, चापशर, पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।

मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥

प्रफुल्ल वन्दना बिबाधारा कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।

कमनीयां लावण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥

मां चंद्रघंटा की आरती (Maa Chanderghanta aarti)

नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा का ध्यान।

मस्तक पर है अर्ध चंद्र, मंद मंद मुस्कान।।

दस हाथों में अस्त्र शस्त्र रखे खडग संग बांद।

घंटे के शब्द से हरती दुष्ट के प्राण।।

सिंह वाहिनी दुर्गा का चमके स्वर्ण शरीर।

करती विपदा शांति हरे भक्त की पीर।।

मधुर वाणी को बोल कर सबको देती ज्ञान।

भव सागर में फंसा हूं मैं, करो मेरा कल्याण।।

नवरात्रों की मां, कृपा कर दो मां।

जय मां चंद्रघंटा, जय मां चंद्रघंटा।।

शिवशंकरजी की आरती 

सत्य, सनातन, सुन्दर, शिव सबके स्वामी।

अविकारी अविनाशी, अज अन्तर्यामी॥

हर हर हर महादेव...

आदि, अनन्त, अनामय, अकल, कलाधारी।

अमल, अरूप, अगोचर, अविचल, अघहारी॥

हर हर हर महादेव...

ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर तुम त्रिमूर्तिधारी।

कर्ता, भर्ता, धर्ता, तुम ही संहारी॥

हर हर हर महादेव...

रक्षक, भक्षक, प्रेरक, प्रिय औढरदानी।

साक्षी, परम अकर्ता, कर्ता अभिमानी॥

हर हर हर महादेव...

मणिमय-भवन निवासी, अति भोगी रागी।

सदा श्मशान विहारी, योगी वैरागी॥

हर हर हर महादेव...

छाल-कपाल, गरल-गल, मुण्डमाल व्याली।

चिता भस्मतन त्रिनयन, अयनमहाकाली॥

हर हर हर महादेव...

प्रेत-पिशाच-सुसेवित, पीत जटाधारी।

विवसन विकट रूपधर, रुद्र प्रलयकारी॥

हर हर हर महादेव...

शुभ्र-सौम्य, सुरसरिधर, शशिधर, सुखकारी।

अतिकमनीय, शान्तिकर, शिवमुनि मन-हारी॥

हर हर हर महादेव...

निर्गुण, सगुण, निरञ्जन, जगमय नित्य प्रभो।

कालरूप केवल हर! कालातीत विभो॥

हर हर हर महादेव...

सत्, चित्, आनन्द, रसमय, करुणामय धाता।

प्रेम-सुधा-निधि प्रियतम, अखिल विश्व त्राता॥

हर हर हर महादेव

हम अतिदीन, दयामय! चरण-शरण दीजै।

सब विधि निर्मल मति कर, अपना कर लीजै॥

हर हर हर महादेव...

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