Vaibhav Laxmi Vrat पर पूजा के समय करें मंगलकारी चालीसा का पाठ, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम
सनातन धर्म में शुक्रवार के दिन सुखों के कारक शुक्र देव की भी उपासना की जाती है। धार्मिक मत है कि शुक्र देव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन मां लक्ष्मी के निमित्त लक्ष्मी वैभव व्रत (Maa Laxmi Puja Vidhi) भी रखा जाता है। इस व्रत को करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 24 Oct 2024 09:49 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। धन की देवी मां लक्ष्मी की महिमा का विस्तारपूर्वक गुणगान शास्त्रों में किया गया है। धन की देवी मां लक्ष्मी बेहद कृपालु एवं दयालु हैं। उनकी कृपा से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही आय, सुख, सौभाग्य एवं ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। ज्योतिष भी धन संबंधी परेशानी को दूर करने के लिए मां लक्ष्मी की पूजा करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी आर्थिक तंगी से निजात पाना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने के समय मंगलकारी चालीसा का पाठ अवश्य करें।
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जय जय श्री महालक्ष्मी, करूँ मात तव ध्यान।
सिद्ध काज मम किजिये, निज शिशु सेवक जान॥चौपाईनमो महा लक्ष्मी जय माता। तेरो नाम जगत विख्याता॥आदि शक्ति हो मात भवानी। पूजत सब नर मुनि ज्ञानी॥जगत पालिनी सब सुख करनी। निज जनहित भण्डारण भरनी॥श्वेत कमल दल पर तव आसन। मात सुशोभित है पद्मासन॥श्वेताम्बर अरू श्वेता भूषण। श्वेतही श्वेत सुसज्जित पुष्पन॥शीश छत्र अति रूप विशाला। गल सोहे मुक्तन की माला॥
सुंदर सोहे कुंचित केशा। विमल नयन अरु अनुपम भेषा॥कमलनाल समभुज तवचारि। सुरनर मुनिजनहित सुखकारी॥अद्भूत छटा मात तव बानी। सकलविश्व कीन्हो सुखखानी॥शांतिस्वभाव मृदुलतव भवानी। सकल विश्वकी हो सुखखानी॥महालक्ष्मी धन्य हो माई। पंच तत्व में सृष्टि रचाई॥जीव चराचर तुम उपजाए। पशु पक्षी नर नारी बनाए॥क्षितितल अगणित वृक्ष जमाए। अमितरंग फल फूल सुहाए॥छवि विलोक सुरमुनि नरनारी। करे सदा तव जय-जय कारी॥
सुरपति औ नरपत सब ध्यावैं। तेरे सम्मुख शीश नवावैं॥चारहु वेदन तब यश गाया। महिमा अगम पार नहिं पाये॥जापर करहु मातु तुम दाया। सोइ जग में धन्य कहाया॥पल में राजाहि रंक बनाओ। रंक राव कर बिमल न लाओ॥जिन घर करहु माततुम बासा। उनका यश हो विश्व प्रकाशा॥जो ध्यावै से बहु सुख पावै। विमुख रहे हो दुख उठावै॥महालक्ष्मी जन सुख दाई। ध्याऊं तुमको शीश नवाई॥
निज जन जानीमोहीं अपनाओ। सुखसम्पति दे दुख नसाओ॥ॐ श्री-श्री जयसुखकी खानी। रिद्धिसिद्ध देउ मात जनजानी॥ॐह्रीं-ॐह्रीं सब व्याधिहटाओ। जनउन विमल दृष्टिदर्शाओ॥ॐ क्लीं-ॐक्लीं शत्रुन क्षयकीजै। जनहित मात अभय वरदीजै॥ॐ जयजयति जयजननी। सकल काज भक्तन के सरनी॥ॐ नमो-नमो भवनिधि तारनी। तरणि भंवर से पार उतारनी॥सुनहु मात यह विनय हमारी। पुरवहु आशन करहु अबारी॥
ऋणी दुखी जो तुमको ध्यावै। सो प्राणी सुख सम्पत्ति पावै॥रोग ग्रसित जो ध्यावै कोई। ताकी निर्मल काया होई॥विष्णु प्रिया जय-जय महारानी। महिमा अमित न जाय बखानी॥पुत्रहीन जो ध्यान लगावै। पाये सुत अतिहि हुलसावै॥त्राहि त्राहि शरणागत तेरी। करहु मात अब नेक न देरी॥आवहु मात विलम्ब न कीजै। हृदय निवास भक्त बर दीजै॥जानूं जप तप का नहिं भेवा। पार करो भवनिध वन खेवा॥
बिनवों बार-बार कर जोरी। पूरण आशा करहु अब मोरी॥जानि दास मम संकट टारौ। सकल व्याधि से मोहिं उबारौ॥जो तव सुरति रहै लव लाई। सो जग पावै सुयश बड़ाई॥छायो यश तेरा संसारा। पावत शेष शम्भु नहिं पारा॥गोविंद निशदिन शरण तिहारी। करहु पूरण अभिलाष हमारी॥दोहामहालक्ष्मी चालीसा, पढ़ै सुनै चित लाय।ताहि पदारथ मिलै, अब कहै वेद अस गाय॥यह भी पढ़ें: नवंबर महीने में इतने दिन बजेंगी शहनाइयां, नोट करें सही डेट एवं लग्न मुहूर्त
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