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Shani Pradosh 2023 Vrat Katha: सावन त्रयोदशी पर करें प्रदोष व्रत कथा का पाठ, प्राप्त होगा भोलेनाथ का आशीर्वाद

Shani Pradosh 2023 Vrat Katha शनि प्रदोष व्रत करने से नवविवाहित स्त्रियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। साथ ही साधक के जीवन में मौजूद सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अतः साधक भक्ति भाव से प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा-उपासना करते हैं। महादेव की कृपा पाने के लिए शनि प्रदोष व्रत के दिन व्रत कथा का पाठ अवश्य करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Fri, 14 Jul 2023 03:13 PM (IST)
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Shani Pradosh 2023 Vrat Katha: सावन त्रयोदशी पर करें प्रदोष व्रत कथा का पाठ, प्राप्त होगा भोलेनाथ का आशीर्वाद

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Shani Pradosh 2023 Vrat Katha: कल शनि प्रदोष व्रत है। यह दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास रखा जाता है। शनिवार के दिन पड़ने के चलते यह शनि प्रदोष व्रत कहलाएगा। अतः इस शुभ तिथि पर शनिदेव की भी भक्ति भाव से पूजा की जाएगी। धार्मिक मान्यता है कि शनि प्रदोष व्रत करने से नवविवाहित स्त्रियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। साथ ही साधक के जीवन में मौजूद सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अतः साधक भक्ति भाव से प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा-उपासना करते हैं। अगर आप भी महादेव की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो शनि प्रदोष व्रत के दिन पूजा के समय व्रत कथा का पाठ अवश्य करें। आइए, प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें-

प्रदोष व्रत कथा

प्राचीन समय की एक बात है। अंबापुर गांव में एक ब्रह्माणी रहती थी। पति की मृत्यु के पश्चात वह रोजाना भिक्षा मांगकर अपना पालन पोषण करती थी। एक दिन वह भिक्षा मांगकर लौट रही थी। उसी समय मार्ग में उसे दो बालक मिले। दोनों बालक को खेलता देख वह दुखी हो गई। वह सोचने लगी कि दोनों बालक के माता-पिता कौन हैं ? और क्यों दोनों यहां वीरान जगह पर खेल रहे हैं ? यह सोच ब्रह्माणी दोनों बालक को घर ले आई। समय बीतता गया। दोनों बालक बड़े हो गए। उन दिनों एक बार ब्रह्माणी दोनों बालक को लेकर ऋषि शांडिल्य के आश्रम जा पहुंची। ऋषि शांडिल्य को नमस्कार कर दोनों बालकों के माता-पिता के बारे में जानना चाहा।

तब ऋषि शांडिल्य ने कहा-हे देवी! ये दोनों बालक विदर्भ नरेश के राजकुमार हैं। गंदर्भ नरेश के आक्रमण से इनका राजपाट छीन गया है। अतः ये दोनों राज्य से पदच्युत हो गए हैं। यह सुन ब्राह्मणी ने कहा-हे ऋषिवर! ऐसा कोई उपाय बताएं कि इनका राजपाट वापस मिल जाए। ऋषि शांडिल्य ने उन्हें प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। कालांतर में ब्राह्मणी और दोनों राजकुमारों ने विधि विधान से प्रदोष व्रत किया। उन दिनों विदर्भ नरेश के बड़े राजकुमार की मुलाकात अंशुमती से हुई। दोनों विवाह करने के लिए राजी हो गए। यह जान अंशुमती के पिता ने गंदर्भ नरेश के विरुद्ध युद्ध में राजकुमारों की मदद की। इस युद्ध में राजकुमारों को विजयश्री प्राप्त हुई। प्रदोष व्रत के पुण्य प्रताप से राजकुमारों को राजपाट वापस मिल गया। उस समय राजकुमारों ने ब्राह्मणी को दरबार में विशेष स्थान प्रदान किया।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।