Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Sawan Sankashti Chaturthi 2023: आज संध्या आरती के समय करें इस स्तोत्र का पाठ, सभी कष्टों से मिलेगी निजात

Sawan Sankashti Chaturthi 2023 धार्मिक मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत रख भगवान गणेश की पूजा-उपासना करने वाले साधक को सभी प्रकार के सांसारिक दुखों से यथाशीघ्र मुक्ति मिलती है। साथ ही साधक के आय आयु और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अतः आज संध्या आरती के समय ऋणहर्ता श्रीगणेश स्त्रोत का पाठ और ऋण मोचन मंत्र का जाप अवश्य करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 06 Jul 2023 12:17 PM (IST)
Hero Image
Sawan Sankashti Chaturthi 2023: आज संध्या आरती के समय करें इस स्तोत्र का पाठ, सभी कष्टों से मिलेगी निजात

नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Sawan Sankashti Chaturthi 2023: आज गणेश संकष्टी चतुर्थी है। यह पर्व हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही साधक गणपति जी के निमित्त व्रत भी रखते हैं। धार्मिक मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत रख भगवान गणेश की पूजा-उपासना करने वाले साधक को सभी प्रकार के सांसारिक दुखों से यथाशीघ्र मुक्ति मिलती है। साथ ही साधक के आय, आयु और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा-उपासना करते हैं। इस दिन संध्याकाल में आरती-अर्चना कर चंद्र दर्शन किया जाता है। अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट से निजात पाना चाहते हैं, तो आज संध्या आरती के समय ऋणहर्ता श्रीगणेश स्त्रोत का पाठ और ऋण मोचन मंत्र का जाप अवश्य करें। इस स्त्रोत के पाठ से आर्थिक समस्या दूर होती है। आइए, ऋण हर्ता श्री गणेश स्त्रोत का पाठ करें-

ऋणहर्ता श्रीगणेश स्त्रोत

॥ ध्यान ॥

ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम् ।

ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम् ॥

॥ मूल-पाठ ॥

सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित: ।

सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,

एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित: ।

दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत् ॥

ऋण मोचन मंत्र

॥ ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं देही चिन्तां दूरं करोति स्वाहा ॥

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'