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Rin Mochan Stotra: शुक्रवार को पूजा के समय करें ऋण मोचन स्तोत्र का पाठ, आर्थिक संकटों से मिलेगी निजात

सनातन शास्त्रों में निहित है कि धन की देवी मां लक्ष्मी बेहद चंचल हैं। एक स्थान पर अधिक समय तक नहीं ठहरती हैं। इसके लिए व्यक्ति के जीवन में बदलाव आता है। मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए हर शुक्रवार के दिन भक्ति भाव से धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करें। इस दिन पूजा के समय ऋण मोचन स्तोत्र (Rin Mochan Stotra) का पाठ अवश्य करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 05 Sep 2024 09:56 PM (IST)
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Rin Mochan Stotra: मां लक्ष्मी को कैसे प्रसन्न करें ?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। धन की देवी मां लक्ष्मी को शुक्रवार का दिन अति प्रिय है। इस दिन मां लक्ष्मी (Ma Laxmi Puja Vidhi) संग धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। इसके साथ ही मनचाहा वर पाने के लिए साधक लक्ष्मी वैभव व्रत रखते हैं। धार्मिक मत है कि मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके अलावा, आर्थिक तंगी भी दूर हो जाती है। अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट से निजात पाना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा करें। वहीं, पूजा के समय ऋण मोचन स्तोत्र का पाठ करें। इस स्तोत्र के पाठ से धन संबंधी परेशानी दूर होती है।

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श्री नरसिंह ऋण मोचन स्तोत्र

ॐ देवानां कार्यसिध्यर्थं सभास्तम्भसमुद्भवम् ।

श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥

लक्ष्म्यालिङ्गितवामाङ्गं भक्तानामभयप्रदम् ।

श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥

प्रह्लादवरदं श्रीशं दैतेश्वरविदारणम् ।

श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥

स्मरणात्सर्वपापघ्नं कद्रुजं विषनाशनम् ।

श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥

अन्त्रमालाधरं शङ्खचक्राब्जायुधधारिणम् ।

श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥

सिंहनादेन महता दिग्दन्तिभयदायकम् ।

श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥

कोटिसूर्यप्रतीकाशमभिचारिकनाशनम् ।

श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॥

वेदान्तवेद्यं यज्ञेशं ब्रह्मरुद्रादिसंस्तुतम् ।

श्रीनृसिंहं महावीरं नमामि ऋणमुक्तये ॐ ॥

इदं यो पठते नित्यं ऋणमोचकसंज्ञकम् ।

अनृणीजायते सद्यो धनं शीघ्रमवाप्नुयात् ॥

ऋण मोचक मङ्गलस्तोत्रम्

मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।

स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः।।

लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।

धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः।।

अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।

व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः।।

एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।

ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्।।

धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।

कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्

स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।

न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्।।

अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।

त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय।।

ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।

भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा।।

अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।

तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्।।

विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।।

तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः।।

पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।

ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः।।

एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।

महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।