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Shiv Stuti Mantra: सोमवार को पूजा के समय जरूर करें ये मंगलकारी स्तुति, पूरी होगी मनचाही मुराद

सोमवार के दिन श्रद्धा भाव से भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वर पाने हेतु सोमवार का व्रत रखा जाता है। भगवान शिव महज जलाभिषेक से प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी कृपा से साधक के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। अतः साधक सोमवार के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 26 May 2024 05:04 PM (IST)
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Shiv Stuti Mantra: सोमवार को पूजा के समय जरूर करें ये मंगलकारी स्तुति, पूरी होगी मनचाही मुराद

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shiv Stuti Mantra: सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को अति प्रिय है। इस दिन श्रद्धा भाव से भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वर पाने हेतु सोमवार का व्रत रखा जाता है। भगवान शिव महज जलाभिषेक से प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी कृपा से साधक के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। अतः साधक सोमवार के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं। ज्योतिष भी कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव को समाप्त करने हेतु भगवान शिव की पूजा करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी मनोवांछित फल पाना चाहते हैं, तो सोमवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद भगवान शिव की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय शिव स्तुति का पाठ जरूर करें।

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शिव स्तुति मंत्र

पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।

जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।

महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।

विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।

गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।

भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।

शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।

त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।

परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।

यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।

न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।

न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड।

अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।

तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।

नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।

नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।

प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।

शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।

शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।

काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।

त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।

त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।