Shivashtakam: भगवान शिव की पूजा के समय करें इस स्तोत्र का पाठ, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम
ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में चंद्रमा कमजोर होने पर जातक को तनाव और चिंता की समस्या होती है। साथ ही माता जी की भी सेहत अच्छी नहीं रहती है। वहीं चंद्रमा मजबूत होने से जातक हमेशा प्रसन्नचित्त रहता है। साथ ही जातक के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। इसके लिए सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 01 Jul 2024 08:00 AM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shivashtakam: भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। उनकी कृपा से साधक के सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। सप्ताह का पहला दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस अवसर पर देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि भगवान शिव फल, फूल और गंगाजल अर्पित करने से प्रसन्न हो जाते हैं। अतः हर सोमवार पर साधक श्रद्धा भाव से अपने आराध्य भगवान शिव की पूजा करते हैं। इस समय गंगाजल या सामान्य जल से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। अगर आप भी भगवान शिव की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो सोमवार के दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करें। साथ ही पूजा के दौरान ये मंगलकारी स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।
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शिवनामावल्य अष्टकम्
हे चन्द्रचूड मदनान्तक शूलपाणे,स्थाणो गिरीश गिरिजेश महेश शंभो।
भूतेश भीतभयसूदन मामनाथं,
संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष॥हे पार्वतीहृदयवल्लभ चन्द्रमौले,भूताधिप प्रमथनाथ गिरीशचाप ।हे वामदेव भव रुद्र पिनाकपाणे,संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष॥हे नीलकण्ठ वृषभध्वज पञ्चवक्त्र,लोकेश शेषवलय प्रमथेश शर्व॥हे धूर्जटे पशुपते गिरिजापते मां,संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष॥हे विश्वनाथ शिव शंकर देवदेव,
गङ्गाधर प्रमथनायक नन्दिकेश॥बाणेश्वरान्धकरिपो हर लोकनाथ,संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष॥वाराणसीपुरपते मणिकर्णिकेश,वीरेश दक्षमखकाल विभो गणेश॥सर्वज्ञ सर्वहृदयैकनिवास नाथ,संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष॥श्रीमन्महेश्वर कृपामय हे दयालो,हे व्योमकेश शितिकण्ठ गणाधिनाथ।भस्माङ्गराग नृकपालकलापमाल,संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष॥कैलासशैलविनिवास वृषाकपे हे,
मृत्युंजय त्रीनयन त्रिजगन्निवास॥नारायणप्रिय मदापह शक्तिनाथ,संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष॥विश्वेश विश्वभवनाशक विश्वरूप,विश्वात्मक त्रिभुवनैकगुणाधिकेश॥हे विश्वनाथ करुणामय दीनबन्धो,संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष॥गौरीविलासभवनाय महेश्वराय,पञ्चाननाय शरणागतकल्पकाय॥
शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै,दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय॥