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Shiv Chalisa: भगवान शिव की पूजा के समय जरूर करें इस चालीसा का पाठ, चमक उठेगा सोया हुआ भाग्य

सनातन शास्त्रों में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जलाभिषेक का विधान है। ज्योतिषियों की मानें तो शिववास योग में भगवान शिव का अभिषेक करने से साधक को सभी प्रकार के शुभ कार्यों में सफलता मिलती है। साथ ही घर में सुख और समृद्ध आती है। भगवान शिव के प्रसन्न होने पर कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होता है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Mon, 17 Jun 2024 08:00 AM (IST)Updated: Mon, 17 Jun 2024 08:00 AM (IST)
Shiv Chalisa: भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shri Aadinath Chalisa In Hindi: भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। अपने भक्तों के सभी दुख और कष्ट दूर करते हैं। वहीं, दुष्टों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। ज्योतिष समोवार, शुक्रवार और शनिवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने की सलाह देते हैं। सोमवार के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए सोमवार का व्रत किया जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वहीं, आय, सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। शैव समाज के लोग भगवान शिव की कठिन भक्ति करते हैं। भगवान शिव की कृपा से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं। अगर आप भी दुख और संताप से निजात पाना चाहते हैं, तो सोमवार के दिन विधि पूर्वक भगवान शिव की पूजा करें। साथ ही भगवान शिव की पूजा के समय इस चालीसा का पाठ करें। इस चालीसा के पाठ से सभी प्रकार के दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं।

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आदिनाथ चालीसा

॥ दोहा॥

शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन को करूं प्रणाम ।

उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम ॥

सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार ।

आदिनाथ भगवान को, मन मन्दिर में धार ॥

॥ चौपाई ॥

जै जै आदिनाथ जिन स्वामी ।

तीनकाल तिहूं जग में नामी ॥

वेष दिगम्बर धार रहे हो ।

कर्मो को तुम मार रहे हो ॥

हो सर्वज्ञ बात सब जानो ।

सारी दुनियां को पहचानो ॥

नगर अयोध्या जो कहलाये ।

राजा नाभिराज बतलाये ॥

मरुदेवी माता के उदर से ।

चैत वदी नवमी को जन्मे ॥

तुमने जग को ज्ञान सिखाया ।

कर्मभूमी का बीज उपाया ॥

कल्पवृक्ष जब लगे बिछरने ।

जनता आई दुखड़ा कहने ॥

सब का संशय तभी भगाया ।

सूर्य चन्द्र का ज्ञान कराया ॥

खेती करना भी सिखलाया ।

न्याय दण्ड आदिक समझाया ॥

तुमने राज किया नीति का ।

सबक आपसे जग ने सीखा ॥

पुत्र आपका भरत बताया ।

चक्रवर्ती जग में कहलाया ॥

बाहुबली जो पुत्र तुम्हारे ।

भरत से पहले मोक्ष सिधारे ॥

सुता आपकी दो बतलाई ।

ब्राह्मी और सुन्दरी कहलाई ॥

उनको भी विध्या सिखलाई ।

अक्षर और गिनती बतलाई ॥

एक दिन राजसभा के अंदर ।

एक अप्सरा नाच रही थी ॥

आयु उसकी बहुत अल्प थी ।

इसलिए आगे नहीं नाच रही थी ॥

विलय हो गया उसका सत्वर ।

झट आया वैराग्य उमड़कर ॥

बेटो को झट पास बुलाया ।

राज पाट सब में बंटवाया ॥

छोड़ सभी झंझट संसारी ।

वन जाने की करी तैयारी ॥

राव हजारों साथ सिधाए ।

राजपाट तज वन को धाये ॥

लेकिन जब तुमने तप किना ।

सबने अपना रस्ता लीना ॥

वेष दिगम्बर तजकर सबने ।

छाल आदि के कपड़े पहने ॥

भूख प्यास से जब घबराये ।

फल आदिक खा भूख मिटाये ॥

तीन सौ त्रेसठ धर्म फैलाये ।

जो अब दुनियां में दिखलाये ॥

छै: महीने तक ध्यान लगाये ।

फिर भजन करने को धाये ॥

भोजन विधि जाने नहि कोय ।

कैसे प्रभु का भोजन होय ॥

इसी तरह बस चलते चलते ।

छः महीने भोजन बिन बीते ॥

नगर हस्तिनापुर में आये ।

राजा सोम श्रेयांस बताए ॥

याद तभी पिछला भव आया ।

तुमको फौरन ही पड़धाया ॥

रस गन्ने का तुमने पाया ।

दुनिया को उपदेश सुनाया ॥

पाठ करे चालीसा दिन ।

नित चालीसा ही बार ॥

चांदखेड़ी में आय के ।

खेवे धूप अपार ॥

जन्म दरिद्री होय जो ।

होय कुबेर समान ॥

नाम वंश जग में चले ।

जिनके नहीं संतान ॥

तप कर केवल ज्ञान पाया ।

मोक्ष गए सब जग हर्षाया ॥

अतिशय युक्त तुम्हारा मन्दिर ।

चांदखेड़ी भंवरे के अंदर ॥

उसका यह अतिशय बतलाया ।

कष्ट क्लेश का होय सफाया ॥

मानतुंग पर दया दिखाई ।

जंजीरे सब काट गिराई ॥

राजसभा में मान बढ़ाया ।

जैन धर्म जग में फैलाया ॥

मुझ पर भी महिमा दिखलाओ ।

कष्ट भक्त का दूर भगाओ ॥

॥ सोरठा ॥

पाठ करे चालीसा दिन, नित चालीसा ही बार ।

चांदखेड़ी में आय के, खेवे धूप अपार ॥

जन्म दरिद्री होय जो, होय कुबेर समान ।

नाम वंश जग में चले, जिनके नहीं संतान ॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


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