Hanuman Ashtak Path: आज मंगलवार को करें श्रीहनुमानाष्टक का पाठ, होंगे ये लाभ
Hanuman Ashtak Path हनुमान जी कलयुग के संरक्षक देव हैं अगर जीवन में रोग दोष भूत-प्रेत की बाधा या किसी भी प्रकार का कोई भय या संकट व्याप्त हो तो सर्वोत्म उपाय है मंगलवार के दिन स्नान आदि करके पूरी श्रद्धा और मनोयोग से श्रीहनुमानाष्टक का पाठ करें।
By Jeetesh KumarEdited By: Updated: Tue, 29 Jun 2021 07:11 AM (IST)
Hanuman Ashtak Path:मंगलवार का दिन मंगलमूर्ति हनुमान जी की पूजा के लिए समर्पित है। बल –बुद्धि के निधान, अंजनीपुत्र हनुमान जी की मंगलवार को साधना करने से बल, बुद्ध,तेज की प्राप्ति होती है और जीवन में आने वाले सभी प्रकार के कष्ट और संकट दूर हो जाते हैं, इसीलिए पवनपुत्र हनुमान जी को संकटमोचक भी कहा जाता है।
हनुमान जी कलयुग के संरक्षक देव हैं, अगर जीवन में रोग, दोष, भूत-प्रेत की बाधा या किसी भी प्रकार का कोई भय या संकट व्याप्त हो, तो सर्वोत्म उपाय है, मंगलवार के दिन स्नान आदि करके पूरी श्रद्धा और मनोयोग से श्रीहनुमानाष्टक का पाठ करें। श्रीहनुमानाष्टक का पाठ करने से सभी प्रकार के रोग, दोष तथा प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है और हनुमान जी की कृपा की प्राप्ति होती है।श्रीहनुमानाष्टक ।
बाल समय रवि भक्ष लियो तब, तीनहुं लोक भयो अँधियारोताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो
देवन आनि करी विनती तब, छांड़ि दियो रवि कष्ट निहारोको नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥1॥बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारोचौंकि महामुनि शाप दियो तब, चाहिये कौन विचार विचारोकै द्घिज रुप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक निवारोको नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥2॥अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो
जीवत न बचिहों हम सों जु, बिना सुधि लाए इहां पगु धारोहेरि थके तट सिंधु सबै तब, लाय सिया सुधि प्राण उबारोको नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥3॥रावण त्रास दई सिय को तब, राक्षसि सों कहि सोक निवारोताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाय महा रजनीचर मारोचाहत सीय अशोक सों आगि सु, दे प्रभु मुद्रिका सोक निवारोको नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥4॥
बाण लग्यो उर लक्ष्मण के तब, प्राण तजे सुत रावण मारोलै गृह वैघ सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु–बीर उपारोआनि संजीवनी हाथ दई तब, लक्ष्मण के तुम प्राण उबारोको नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥5॥रावण युद्घ अजान कियो तब, नाग की फांस सबै सिरडारोश्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारोआनि खगेस तबै हनुमान जु, बन्धन काटि सुत्रास निवारो
को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥6॥बन्धु समेत जबै अहिरावण, लै रघुनाथ पाताल सिधारोदेवहिं पूजि भली विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मंत्र विचारोजाय सहाय भयो तबही, अहिरावण सैन्य समैत संहारोको नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥7॥काज किये बड़ देवन के तुम, वीर महाप्रभु देखि विचारोकौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसो नहिं जात है टारो
बेगि हरौ हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारोको नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥8॥लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ।।डिसक्लेमर 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'