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Krishna Janmashtami 2023: जन्माष्टमी पर करें श्री कृष्ण शतनामावली स्तोत्र का पाठ, सभी संकटों से मिलेगी निजात

Krishna Janmashtami 2023 धार्मिक मान्यताएं हैं कि भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-भक्ति करने से साधक को जीवन में सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। भगवान कृष्ण के शरणागत साधक को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त दुख और संकट से निजात पाना चाहते हैं तो कृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा के समय श्रीकृष्ण शतनामावली स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 04 Sep 2023 12:53 PM (IST)
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Krishna Janmashtami 2023: जन्माष्टमी पर करें श्री कृष्ण शतनामावली स्तोत्र का पाठ, सभी संकटों से मिलेगी निजात
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Krishna Janmashtami 2023: हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को देश भर में जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण का जनमोत्स्व मनाया जाता है। इस वर्ष 6 सितंबर को कृष्ण जन्माष्टमी है। वहीं, वैष्णव समाज के अनुयायी 7 सितंबर को कृष्ण जन्माष्टमी मनाएंगे। सनातन शास्त्रों में निहित है कि द्वापर युग में धर्म की स्थापना हेतु भगवान श्रीकृष्ण धरा पर अवतरित हुए थे। अतः इस तिथि पर धूमधाम से भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसके अगले दिन दही हंडी का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष 7 सितंबर को दही हंडी मनाई जाएगी। 

धार्मिक मान्यताएं हैं कि भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-भक्ति करने से साधक को जीवन में सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। भगवान कृष्ण के शरणागत साधक को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त दुख और संकट से निजात पाना चाहते हैं, तो कृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा के समय श्रीकृष्ण शतनामावली स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। इस स्तोत्र के पाठ से बाल गोपाल प्रसन्न होते हैं। इनकी कृपा से साधक के सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं। आइए, श्रीकृष्ण शतनामावली स्तोत्र का पाठ करें- 

श्रीकृष्ण शतनामावली स्तोत्र

श्रीकृष्ण: कमलानाथो वासुदेवः सनातनः !

वसुदेवात्मजः पुण्यो लीलामानुषविग्रहः ॥

श्रीवत्सकौस्तुभधरो यशोदावत्सलो हरिः !

चतुर्भुजात्तचक्रासिगदाशंखाद्युदायुधः ॥

देवकीनन्दनः श्रीशो नन्दगोपप्रियात्मजः !

यमुनावेगसंहारी बलभद्रप्रियानुजः ॥

पूतनाजीवितहरः शकटासुरभञ्जनः !

नन्दव्रजजनानन्दी सच्चिदानन्दविग्रहः ॥

नवनीतविलिप्ताङ्गो नवनीतनटोऽनघः !

नवनीतनवाहारो मुचुकुंदप्रसादकः ॥

षोडशस्त्रीसहस्रेशो त्रिभंगीललिताकृतिः !

शुकवागमृताब्धीन्दुः गोविन्दो गोविदां पतिः॥

वत्सवाटचरोऽनन्तो धेनुकासुरमर्द्दनः !

तृणीकृततृणावर्तो यमलार्जुनभञ्जनः ॥

उत्तालतालभेत्ता च तमालश्यामलाकृतिः !

गोपगोपीश्वरो योगी कोटिसूर्यसमप्रभः॥

इलापतिः परंज्योतिः यादवेन्द्रो यदूद्वहः

वनमाली पीतवासा पारिजातापहारकः ॥

गोवर्धनाचलोद्धर्त्ता गोपालस्सर्वपालकः !

अजो निरञ्जनः कामजनकः कञ्जलोचनः॥

मधुहा मथुरानाथो द्वारकानायको बली !

वृन्दावनांतसञ्चारी तुलसीदामभूषणः ॥

स्यमन्तकमणेर्हर्ता नरनारायणात्मकः !

कुब्जाकृष्टांबरधरो मायी परमपूरुषः ॥

मुष्टिकासुरचाणूरमल्लयुद्धविशारदः !

संसारवैरि कंसारी मुरारी नरकान्तकः ॥

अनादिब्रह्मचारी च कृष्णाव्यसनकर्शकः !

शिशुपालशिरच्छेत्ता दुर्योधनकुलान्तकः ॥

विदुराक्रूरवरदो विश्वरूपप्रदर्शकः !

सत्यवाक्सत्यसंकल्पः सत्यभामारतो जयी ॥

सुभद्रापूर्वजो विष्णुः भीष्ममुक्तिप्रदायकः !

जगद्गुरुर्जगन्नाथो वेणुनादविशारदः ॥

वृषभासुरविध्वंसी बाणासुरबलांतकः !

युधिष्ठिरप्रतिष्ठाता बर्हिबर्हावतंसकः ॥

पार्थसारथिरव्यक्तो गीतामृतमहोदधिः !

कालीयफणिमाणिक्यरञ्जितश्रीपदांबुजः ॥

दामोदरो यज्ञभोक्ता दानवेन्द्रविनाशकः

नारायणः परंब्रह्म पन्नगाशनवाहनः ॥

जलक्रीडासमासक्तगोपीवस्त्रापहारकः !

पुण्यश्लोकस्तीर्थपादो वेदवेद्यो दयानिधिः ॥

सर्वभूतात्मकस्सर्वग्रहरूपी परात्परः !

एवं कृष्णस्य देवस्य नाम्नामष्टोत्तरं शतं, ॥

कृष्णनामामृतं नाम परमानन्दकारकं,

अत्युपद्रवदोषघ्नं परमायुष्यवर्धनम् !

श्रीकृष्ण: कमलानाथो वासुदेवः सनातनः !

वसुदेवात्मजः पुण्यो लीलामानुषविग्रहः ॥

डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'