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Mangala Gauri Vrat: मंगला गौरी व्रत के दिन करें श्रीराम प्रेमाष्ट्‌कम का पाठ, लव मैरिज का बनेगा प्रबल योग

Mangala Gauri Vrat सावन महीने के हर मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। ये व्रत विवाहित स्त्रियां और अविवाहित लड़कियां करती हैं। मंगला गौरी व्रत करने से विवाहित स्त्रियों को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं अविवाहितों लड़कियों की शीघ्र शादी के योग बनने लगते हैं। मंगला गौरी व्रत करने से मांगलिक दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 17 Jul 2023 04:12 PM (IST)
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Mangala Gauri Vrat: मंगला गौरी व्रत के दिन करें श्रीराम प्रेमाष्ट्‌कम का पाठ, लव मैरिज का बनेगा प्रबल योग
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Mangala Gauri Vrat: सावन के महीने में प्रत्येक दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा श्रद्धा भाव से की जाती है। साथ ही सावन सोमवार और मंगलवार के दिन व्रत उपवास रखा जाता है। सावन महीने के हर मंगलवार के दिन मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। ये व्रत विवाहित स्त्रियां और अविवाहित लड़कियां करती हैं। मंगला गौरी व्रत करने से विवाहित स्त्रियों को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। उनके पति की आयु लंबी होती है। वहीं, अविवाहितों लड़कियों की शीघ्र शादी के योग बनने लगते हैं। ज्योतिष की मानें तो मंगला गौरी व्रत करने से मांगलिक दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है। अत: व्रती श्रद्धा भाव से मंगला गौरी व्रत रख महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करते हैं। अगर आप प्रेम प्रसंग में हैं और लव मैरिज करना चाहते हैं, तो मंगला गौरी व्रत के दिन पूजा के समय राम प्रेमाष्ट्कम स्तोत्र का पाठ करें। इस स्तोत्र के पाठ से प्रेम विवाह के योग बनने लगते हैं। आइए, प्रेमाष्ट्कम का पाठ करें-

राम प्रेमाष्ट्कम

श्यामाम्बुदाभमरविन्दविशालनेत्रं बन्धूकपुष्पसदृशाधरपाणिपादम् ।

सीतासहायमुदितं धृतचापबाणं रामं नमामि शिरसा रमणीयवेषम् ॥

पटुजलधरधीरध्वानमादाय चापं पवनदमनमेकं बाणमाकृष्य तूणात् ।

अभयवचनदायी सानुजः सर्वतो मे रणहतदनुजेन्द्रो रामचन्द्रः सहायः ॥

दशरथकुलदीपोऽमेयबाहुप्रतापो दशवदनसकोपः क्षालिताशेषपापः ।

कृतसुररिपुतापो नन्दितानेकभूपो विगततिमिरपङ्को रामचन्द्रः सहायः ॥

कुवलयदलनीलः कामितार्थप्रदो मे कृतमुनिजनरक्षो रक्षसामेकहन्ता ।

अपहृतदुरितोऽसौ नाममात्रेण पुंसा-मखिलसुरनृपेन्द्रो रामचन्द्रः सहायः ॥

असुरकुलकृशानुर्मानसाम्भोजभानुः सुरनरनिकराणामग्रणीर्मे रघूणाम् ।

अगणितगुणसीमा नीलमेघौघधामा शमदमितमुनीन्द्रो रामचन्द्रः सहायः ॥

कुशिकतनययागं रक्षिता लक्ष्मणाढ्यः पवनशरनिकायक्षिप्तमारीचमायः ।

विदलितहरचापो मेदिनीनन्दनाया नयनकुमुदचन्द्रो रामचन्द्रः सहायः ॥

पवनतनयहस्तन्यस्तपादाम्बुजात्मा कलशभववचोभिः प्राप्तमाहेन्द्रधन्वा ।

अपरिमितशरौघैः पूर्णतूणीरधीरो लघुनिहतकपीन्द्रो रामचन्द्रः सहायः ॥

कनकविमलकान्त्या सीतयालिङ्गिताङ्गो मुनिमनुजवरेण्यः सर्ववागीशवन्द्यः।

स्वजननिकरबन्धुर्लीलया बद्धसेतुः सुरमनुजकपीन्द्रो रामचन्द्रः सहायः ॥

यामुनाचार्यकृतं दिव्यं रामाष्टकमिदं शुभम् । यः पठेत् प्रयतो भूत्वा स श्रीरामान्तिकं व्रजेत् ॥

राम मंगलाष्टक

सङ्गीतप्राणमूलाय सप्तस्वराधिवासिने ।

षड्जाधारश्रुतिस्थाय सद्गुरुस्वाय मङ्गलम् ॥

ऋषभारूढनूताय रिपुसूदनकीर्तये ।

ऋषिश्रेष्ठसुगीताय रिपुभीमाय मङ्गलम् ॥

गङ्गापावनपादाय गम्भीरस्वरभाषिणे ।

गान्धर्वगानलोलाय गभीराय सुमङ्गलम् ॥

मङ्गलं क्षितिजापाय मङ्गलानन्दमूर्तये ।

मङ्गलश्रीनिवासाय माधवाय सुमङ्गलम् ॥

पञ्चमस्वरगेयाय परिपूर्णस्वराब्धये ।

पाथोधिरागरङ्गाय परार्थाय सुमङ्गलम् ॥

धन्याय धर्मपालाय धैवत्यधैर्यदायिने ।

ध्याताय ध्यानगम्याय ध्यातरूपाय मङ्गलम् ॥

निषादगुहमित्राय निशाचरमदारये ।

निर्वाणफलदात्रे च नित्यानन्दाय मङ्गलम् ॥

सप्तस्वराधिनाथाय सङ्गीतकृतिसेविने ।

सद्गुरुस्वामिगेयाय सीतारामाय मङ्गलम् ॥

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'