Rishi Panchami 2022: महिलाओं के लिए बेहद खास है ऋषि पंचमी का व्रत, जानें तिथि, मुहूर्त और पूजा विधि
Rishi Panchami 2022 ऋषि पंचमी का व्रत महिलाओं के लिए खास होता है। इस दिन देवी-देवता नहीं बल्कि सप्त ऋषियों की पूजा करने का विधान है। इस बार सितंबर माह की शुरुआत में ही ये व्रत किया जा रहा है। जानिए ऋषि पंचमी का मुहूर्त और पूजा विधि
By Shivani SinghEdited By: Updated: Thu, 01 Sep 2022 02:29 PM (IST)
नई दिल्ली, Rishi Panchami 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन ऋषि पंचमी का व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म में इस त्योहार का खास महत्व है इस दिन सप्त ऋषियों का पूजा की जाती है। इस पंचमी को भाई पंचमी के नाम से भी जानते हैं। क्योंकि इस दिन माहेश्वरी समाज राखी का त्योहार मनाता हैं इस दिन महिलाएं सप्तऋषियों की पूजा करके सुख-शांति, समृद्धि का आशीर्वाद लेती है। इसी के साथ मान्यता है कि ऋषि पंचमी के साथ व्रत कथा का पाठ करने या फिर सुनने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। जानिए ऋषि पंचमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
ऋषि पंचमी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त
ऋषि पंचमी तिथि प्रारंभ- 31 अगस्त 2022, बुधवार को दोपहर 3 बजकर 22 मिनट से शुरूपंचमी तिथि समाप्त- 01 सितंबर 2022, गुरुवार को दोपहर 2 बजकर 49 मिनट पर
तिथि- उदया तिथि के अनुसार ऋषि पंचमी 01 सितंबर को मनाई जाएगीऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त- 01 सितंबर को सुबह 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर 1 बजकर 37 मिनट तक
महिलाओं के लिए क्यों खास है ऋषि पंचमी
माना जाता है कि ये व्रत महिलाओं के लिए काफी खास होता है। इस व्रत को करने से हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। आइए जानते हैं ऋषि पंचमी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ऋषि पंचमी का व्रत महिलाओं के मासिक धर्म से संबंधित है। मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को धार्मिक कार्यों में शामिल होने की मनाही होती है। अगर कोई महिला मासिक धर्म के दौरान किसी पूजा आदि में शामिल हो जाती है, तो उसे कई दोषों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में ऋषि पंचमी के दिन व्रत करके महिला हर तरह के दोषों से छुटकारा पा सकती हैं।
ऋषि पंचमी पूजा विधि
- इस दिन महिलाएं घर आदि को साफ-सुथरा करके स्नान आदि करके साथ वस्त्र धारण कर लें।
- अब एक चौकी में हल्दी, कुमकुम आदि से चौकोर मंडल बनाकर सप्तऋषि की स्थापना करें।
- स्थापना करने के बाद पंचामृत और जल से स्नान करें।
- स्नान के बाद चंदन से तिल लगाएं। इसके साथ ही फूल, माला चढ़ा दें।
- इसके बाद वस्त्र के साथ जनेऊ चढ़ा दें।
- इसके बाद सप्तऋषि को शुद्ध फलों के साथ मिठाई का भोग लगा लें।
- भोग लगाने के बाद धूप, दीप जलाकर आरती कर लें।
- इसके साथ ही ऋषि पंचमी की व्रत कथा पढ़ लें।
- अंत में भूल चूक की माफी मांग कर सभी को प्रसाद वितरण कर लें।
- पूरे दिन फलाहारी रहकर सप्तऋषियों की विधिवत पूजा करें।