Move to Jagran APP

Rishi Panchami 2023: पापों से मुक्ति दिलाती है ऋषि पंचमी, जानिए कैसे रखें व्रत?

Rishi Panchami 2023 हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी का विशेष महत्व है। यह दिन मुख्यतः सप्तऋषियों को समर्पित है। इस दिन व्रत किया जाता है। इस व्रत में ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देने का बड़ा महत्व है। माना जाता है कि जीवन में जाने-अनजाने में कोई गलती हुई हो तो ऋषि पंचमी के व्रत द्वारा उससे मुक्ति पाई जा सकती है।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Mon, 18 Sep 2023 04:32 PM (IST)
Hero Image
Rishi Panchami 2023 जानिए ऋषि पंचमी व्रत की विधि?
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Rishi Panchami 2023 Date: हर साल भाद्रपद माह की शुक्ल पंचमी को ऋषि पंचमी मनाई जाती है। आमतौर पर ऋषि पंचमी हरतालिका तीज के दो दिन बाद और गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद मनाई जाती है। इस साल ऋषि पंचमी 20 अगस्त को मनाई जाएगी। ऐसा माना जाता है कि इन दिन व्रत रखने से व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति पा लेता है। ऐसे में आइए जानते हैं क्या है ऋषि पंचमी व्रत की विधि।

ऋषि पंचमी का महत्व (Rishi Panchami significance)

महिलाओं के लिए यह व्रत काफी महत्वपूर्ण माना है। ऐसा माना जाता है कि मासिक धर्म के दौरान रसोई या खाना बनाने का काम करने से रजस्वला दोष लग सकता है। ऐसे में ऋषि पंचमी के व्रत द्वारा इस दोष से मुक्ति पाई जा सकती है।

ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और सप्तऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही यह भी मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। यदि गंगा में स्नान करना संभव नहीं है तो आप घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें - Ganesh Chaturthi 2023: क्या आप जानते हैं कि 10 दिनों तक ही क्यों मनाई जाती है गणेश चतुर्थी? यहां जानिए कारण

ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त

पंचमी तिथि का प्रारम्भ 19 सितम्बर, मंगलवार दोपहर 01 बजकर 43 मिनट पर होगा। वहीं इसकी समापन 20 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 16 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, ऋषि पंचमी का व्रत 20 सितंबर को किया जाएगा और व्रत की पूजा का मुहूर्त सुबह 11 बजकर 19 मिनट से 01 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।

जानिए व्रत की विधि (Rishi Panchami puja vidhi)

ऋषि पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाए। इसके बाद घर और मंदिर की अच्छे से सफाई करें। इसके बाद पूजन की सामग्री जैसे धूप, दीप, फल, फूल, घी, पंचामृत आदि एकत्रित करके एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं। चौकी पर सप्तऋषि की तस्वीर लगाएं।

आप चाहें तो अपने गुरु की तस्वीर भी स्थापित कर सकते हैं। अब उन्हें फल-फूल और नैवेद्य आदि अर्पित करते हुए अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। इसके बाद आरती करें और प्रसाद सभी में वितरित करें। इस दिन बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद भी जरूर लेना चाहिए।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'