Sai Baba Vrat Katha: श्रद्धा और सबूरी के साथ पढ़ें साईंबाबा की व्रत कथा, मिलता है शुभ फल
Sai Baba Vrat Katha आज गुरुवार है। आज साईंबाबा का दिन है। आज के दिन साईं भक्त बाबा का व्रत करते हैं और आराधना करते हैं।
By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Thu, 06 Aug 2020 07:00 AM (IST)
Sai Baba Vrat Katha: आज गुरुवार है। आज साईंबाबा का दिन है। आज के दिन साईं भक्त बाबा का व्रत करते हैं और आराधना करते हैं। कहा जाता है कि बाबा अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं। अगर आप इस व्रत को कर रहे हैं तो व्रत कथा करना बेहद जरूरी है। तो चलिए पढ़ते हैं साईं बाबा की व्रत कथा।
कोकिला नाम की एक महिला अपने पति महेशभाई के साथ एक शहर में रहती थीं। वो बेहद ही धार्मिक आस्था और विश्वास वाली महिला था। कोकिला और महेशभाई का जीवन स्नेह और प्रेमपूर्वक व्यतीत हो रहा था। हालांकि, कई बार महेश भाई कोकिला से झगड़ा कर लिया करते थे। लेकिन चुपचाप अपने पति के क्रोध को सहन कर लेती थीं और बुरा नहीं मानती थीं। कोकिला के पति महेशभाई का काम ज्यादा अच्छा नहीं चल रहा था। काम में परेशानी के चलते वो ज्यादा समय घर पर ही बिताते थे। उनका व्यवसाय ठप्प हो गया था और इसी के चलते उनका स्वभाव बेहद चिड़चिड़ा रहने लगा था। इसी के चलते महेशभाई ती कोकिला से नोकझोंक होने लग गई थी।
एक दिन कोकिला के घर पर एक बूढ़े बाबा आए। दोपहर का समय हो रहा था। बाबा के चेहरे पर गजब का तेज था। उन्होंने कोकिला से भिक्षा मांगी। कोकिला ने उन्हें दाल-चावल दान में दे दिए। फिर कोकिला ने बाबा के सामने हाथ जोड़े और बाबा ने उसे आशीर्वाद दिया। इतने में ही कोकिला की आंखों से आंसू बहने लगे। बूढ़े बाबा ने कोकिला की परेशानी को देखते हुए उसे 9 गुरुवार श्री साईंबाबा का व्रत करने को कहा। बाबा ने कहा कि अगर वो पूरी श्रद्धा और सबूरी के साथ साईंबाबा का व्रत करेगी तो उसकी मनोकामना पूर्ण होंगी।
जिस तरह बाबा ने बताया था ठीक उसी तरह कोकिला ने 9 गुरुवार साईंबाबा का व्रत किया। गरीबों को भोजन कराया। साईंबाबा की पुस्तकें भेंट दी। इसके बाद कोकिला का पति उसके साथ झगड़ा नहीं करता था। महेशभाई के व्यापार में भी वृद्धि होने लगी। इसके बाद दोनों ही सुखमय जीवन व्यतीत करने लगे। एक दिन कोकिला की जेठानी उसके घर आई हुई थी। उसकी जेठानी ने बताया कि उसके बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता है। इस वजह से ही वो परिक्षा में फेल हो जाते हैं। कोकिला ने अपनी जेठानी को साईंबाबा के व्रत के बारे में बताया। जेठानी के कहे अनुसार उसने 9 श्रीसाईंबाबा का व्रत किया। कुछ ही दिनों में उसके बच्चों का मन पढ़ाई में लगने लगा। उसके बच्चे अच्छे नंबरों से पास हो गए।