Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Sakat Chauth 2023: सकट चौथ पर बन रहा अद्भुत योग, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Sakat Chauth 2023 सकट चौथ के दिन सुखी वैवाहिक जीवन और संतान की लंबी आयु के लिए महिलाएं व्रत रखती हैं। इस दिन भगवान गणेश के साथ सकट माता की पूजा की जाती है। जानिए सकट चौथ का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

By Shivani SinghEdited By: Shivani SinghUpdated: Tue, 10 Jan 2023 07:50 AM (IST)
Hero Image
Sakat Chauth 2023: सकट चौथ कब? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

नई दिल्ली, Sakat Chauth 2023 Date: हर साल माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा की जाएगी। मान्यता है कि सकट चौथ के दिन पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इस साल सकट चौथ पर सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ कई शुभ योग बन रहे हैं। ऐसे में पूजा करने का कई गुना अधिक फल प्राप्त होगा। जानिए सकट चौथ का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि।

सकट चौथ 2023 तिथि और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, माघ माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 10 जनवरी 2023 को दोपहर 12 बजकर 9 मिनट पर आरंभ हो रही है, जो 11 जनवरी 2023 दोपहर 02 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में चंद्रोदय के समय पूजा करने के कारण सकट चौथ 2023 का व्रत 10 जनवरी, मंगलवार को रखा जाएगा।

चंद्रोदय का समय

पंचांग के अनुसार, इस दिन चंद्रोदय रात 8 बजकर 41 मिनट पर होगा।

सकट चौथ पर बन रहे हैं ये शुभ योग

सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 07 बजकर 15 मिनट से 9 बजकर 1 मिनट से

आयुष्मान योग- सुबह 11 बजकर 20 20 से लेकर 11 जनवरी सुबह 12 बजकर 2 मिनट तक

प्रीति योग- सूर्योदय से लेकर 11 बजकर 20 मिनट तक

सकट चौथ 2023 का पूजा विधि

सकट चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें। भगवान गणेश का मनन करते हुए व्रत का संकल्प लें।

व्रत का संकल्प लेने के बाद पूजा आरंभ करें। सबसे पहले एक लकड़ी की चौका में लाल या पीले रंग का साफ वस्त्र बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति या फिर तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद आचमन करें। गणपति को सिंदूर, कुमकुम, फूल, माला, रोली, अक्षत, दूर्वा आदि चढ़ा दें। इसके बाद भोग में मोदक सहित अन्य मिठाईयां चढ़ाएं। फिर घी का दीपक और धूप जलाकर गणेश जी मंत्र, चालीसा का पाठ कर लें। अंत में विधिवत आरती करने के बाद भूल चूक के लिए माफी मांग लें।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।