Sankashti Chaturthi 2023: वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी 01 नवंबर को, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Vakratunda Sankashti Chaturthi 2023 प्रत्येक माह की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश जी की आराधना के लिए समर्पित मानी जाती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से और व्रत रखने से साधक को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ऐसे में कार्तिक माह में वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी का व्रत कल यानी 01 नवंबर को किया जाएगा।
By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Tue, 31 Oct 2023 01:52 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Sankashti Chaturthi Puja Vidhi: हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देव माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है ताकि वह काम बिना किसी बाधा के पूरा हो सके।
हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन साधक भगवान गणेश की पूजा अर्चना करते हैं और व्रत करते हैं। इससे साधक को भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसके जीवन में आ रही सभी प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 31 अक्टूबर रात 09 बजकर 30 मिनट से शुरू होगी। जिसका समापन 01 नवंबर रात 09 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी का व्रत 01 नवंबर को किया जाएगा।यह भी पढ़ें - Sankashti Chaturthi 2023: संकष्टी चतुर्थी पर करें इन चमत्कारी मंत्रों का जाप एवं आरती, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद पूजा के स्थान की साफ-सफाई करने के बाद गणेश जी की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें। अब गणेश जी की विधि-विधानपूर्वक पूजा करें। इस दौरान गणेश जी को लाल चन्दन, लाल फूल, दूर्वा, मोदक, पान, सुपारी, धूप-दीप आदि अर्पित करें।पूजा के दौरान श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा मंत्र का जाप करना चाहिए। अंत में पूरे परिवार के साथ गणपति की आरती करें और प्रसाद को आसपास के लोगों में वितरित करें।WhatsApp पर हमसे जुड़ें. इस लिंक पर क्लिक करें.
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