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Sankat Mochan Stuti: हनुमान जी सारे कष्ट करेंगे दूर, आज करें संकटमोचन स्तुति का पाठ

Sankat Mochan Stuti आज मंगलवार है और आज के दिन हनुमान जी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि अगर बजरंगबली की अराधना मंगलवार को की जाए तो व्यक्ति के जीवन की हर परेशानी दूर हो जाती है। इस दिन हनुमान जी की पूजा बेहद शुभकारक मानी जाती है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Tue, 02 Feb 2021 07:55 AM (IST)
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Sankat Mochan Stuti: आज मंगलवार के दिन जरूर करें संकट मोचन स्तुति का पाठ
Sankat Mochan Stuti: आज मंगलवार है और आज के दिन हनुमान जी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि अगर बजरंगबली की अराधना मंगलवार को की जाए तो व्यक्ति के जीवन की हर परेशानी दूर हो जाती है। इस दिन हनुमान जी की पूजा बेहद शुभकारक मानी जाती है। कई लोग जब किसी भी तरह के संकट में होते हैं तो सबसे पहले हनुमान जी को याद करते हैं। मान्यता है कि जब भी संकटमोचन अपने किसी भक्त को परेशानी में देखते हैं तो वो खुद किसी न किसी रूप में आकर अपने भक्तों के संकट को हर लेते हैं। कहा जाता है कि हनुमान जी की पूजा करते समय उनकी आरती और चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए। इसके साथ ही संकट मोचन की स्तुति का पाठ भी करना चाहिए।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंगलवार के दिन सुबह व शाम के समय हनुमान मंदिर जाएं और हनुमान जी के सामने गाय के घी का एक दीपक जलाएं। फिर हनुमान जी की प्रतिमा के सामने सिंदूर या कुशा के आसन पर बैठें। फिर संकटमोचन स्तुति का पाठ करें। पाठ पूरा करने के बाद 1 बार श्री हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें। फिर हनुमान जी की आरती करें।

संकट मोचन स्तुति:

बाल समय रवि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों।

ताहि सो त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।

देवन आनि करी विनती तब, छाड़ि दियो रवि कष्ट निवारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो।

चौंकि महामुनि शाप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो।

कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक निवारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीश यह बैन उचारो।

जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहां पगु धारो।

हेरी थके तट सिन्धु सबै तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

रावण त्रास दई सिय को तब, राक्षसि सो कही सोक निवारो।

ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मारो।

चाहत सीय असोक सों आगिसु, दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

बान लग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सुत रावन मारो।

लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सुबीर उपारो।

आनि संजीवन हाथ दई तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

रावन युद्ध अजान कियो तब, नाग कि फांस सबै सिर डारो।

श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो।

आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

बंधु समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।

देवहिं पूजि भली विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो।

जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

काज किये बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो।

कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसो नहिं जात है टारो।

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो।।

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो।।

लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।

बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर।।