Santoshi Maa: शुक्रवार के दिन करें मां संतोषी की पूजा, खुशियों का होगा आगमन
मां संतोषी की आराधना के लिए शुक्रवार का दिन सबसे उत्तम माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां संतोषी की पूजा-अर्चना करने से साधक के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। साथ ही साधक को धन संबंधी परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है। आइए पढ़ते हैं मां संतोषी (Santoshi Mata) की पूजा विधि और आरती।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां संतोषी को भगवान गणेश की ही पुत्री माना गया है। साथ ही यह भी माना जाता है कि मां संतोषी की आराधना करने से साधक के जीवन में आ रही तमाम समस्याएं खत्म हो सकती हैं। ऐसे में आप संतोषी माता की पूजा के दौरान उनकी ये पावन आरती जरूर करें।
मां संतोषी की पूजा विधि
सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त हो जाएं। स्नान करके साफ सुथरे वस्त्र धारण करें। अब मां संतोषी का ध्यान करें और मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद एक चौकी बिछा दें। इस चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां संतोषी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
कलश स्थापना करने के बाद विधिवत रूप से माता संतोषी की पूजा करें। इस दौरान माता को फूल, माला, सिंदूर, अक्षत आदि अर्पित करें। भोग के रूप में माता को भिगोए हुए चने की दाल, गुड़ और केला चढ़ाएं। अब मां के समक्ष घी का दीपक जलाएं और आरती करें। इसके बाद सभी लोगों में प्रसाद बांटें और कलश के पानी को पूरे घर में छिड़कें।
संतोषी माता की आरती (Santoshi Maa Ki Aarti)
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
सुन्दर चीर सुनहरी,
मां धारण कीन्हो ।
हीरा पन्ना दमके,
तन श्रृंगार लीन्हो ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
गेरू लाल छटा छबि,
बदन कमल सोहे ।
मंद हंसत करुणामयी,
त्रिभुवन जन मोहे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
स्वर्ण सिंहासन बैठी,
चंवर दुरे प्यारे ।
धूप, दीप, मधु, मेवा,
भोज धरे न्यारे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
गुड़ अरु चना परम प्रिय,
तामें संतोष कियो ।
संतोषी कहलाई,
भक्तन वैभव दियो ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
शुक्रवार प्रिय मानत,
आज दिवस सोही ।
भक्त मंडली छाई,
कथा सुनत मोही ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
मंदिर जग मग ज्योति,
मंगल ध्वनि छाई ।
विनय करें हम सेवक,
चरनन सिर नाई ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
भक्ति भावमय पूजा,
अंगीकृत कीजै ।
जो मन बसे हमारे,
इच्छित फल दीजै ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
दुखी दारिद्री रोगी,
संकट मुक्त किए ।
बहु धन धान्य भरे घर,
सुख सौभाग्य दिए ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
ध्यान धरे जो तेरा,
वांछित फल पायो ।
पूजा कथा श्रवण कर,
घर आनन्द आयो ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
चरण गहे की लज्जा,
रखियो जगदम्बे ।
संकट तू ही निवारे,
दयामयी अम्बे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
सन्तोषी माता की आरती,
जो कोई जन गावे ।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति,
जी भर के पावे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता ॥
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