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Sawan 2022: शिवलिंग की परिक्रमा करते समय बिल्कुल न करें ये गलतियां, वरना भुगतने पड़ेंगे कई कष्ट

Sawan 2022 आमतौर पर देवी-देवताओं की पूरी परिक्रमा करना शुभ माना जाता है। लेकिन शिवलिंग की परिक्रमा करते वक्त इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि कभी भी पूर्ण परिक्रमा न करें। जानिए शिवलिंग की परिक्रमा करते समय किन बातों का रखें ख्याल।

By Shivani SinghEdited By: Updated: Thu, 14 Jul 2022 09:40 AM (IST)
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Sawan 2022: शिवलिंग की परिक्रमा करते समय न करें ये गलतियां

नई दिल्ली, Sawan 2022: हिंदू धर्म में सावन का महीना काफी पवित्र माना जाता है। इस माह में भगवान शिव की सच्चे और पूरी श्रद्धा के साथ पूजा पाठ करने से दोगुना फल मिलता है। शास्त्रों में भी भोलेनाथ को सभी देवताओं में सबसे महान माना जाता है। सावन के माह में भोले बाबा को प्रसन्न करने से लिए सोमवार के दिन व्रत रखना शुभ माना जाता है। सावन माह में भगवान शिव के मंदिर जाकर जलाभिषेक करने के साथ-साथ परिक्रमा करना शुभ माना जाता है। लेकिन शिवलिंग की परिक्रमा करते समय कई गलतियां कर देते हैं, जिससे भोलेनाथ रुष्ट हो सकते हैं और पूजा का पूरा फल नहीं मिलता है। धार्मिक शास्त्रों में शिवलिंग की परिक्रमा के कुछ नियमों का उल्लेख किया गया है। जानिए शिव की परिक्रमा के दौरान किन बातों का रखें ख्याल।

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कभी न करें शिवलिंग की पूरी परिक्रमा

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, कभी भी शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नहीं करना चाहिए। हमेशा आधे शिवलिंग की परिक्रमा करने के लिए कहा गया है। चंद्रमा के रूप में शिवलिंग की परिक्रमा करने को कहा गया है। जलहरी लंघना अशुभ माना जाता है। अगर कोई लांघ जाता है को कई शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

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इस तरह से करनी चाहिए शिवलिंग की परिक्रमा

शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा बाईं ओर से शुरू करना चाहिए और इसके बाद आधी परिक्रमा करने के बाद उसी स्थान पर लौट जाना चाहिए जहां से परिक्रमा शुरू हुई थी। आप अपनी श्रद्धा के अनुसार दो, तीन परिक्रमा कर सकते हैं।  

 शिवलिंग का जलधारी कभी भी लांघे

 जिस स्थान से शिवलिंग का जल बहता है उसे जलधारी, निर्मली और सोमसूत्र कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद इसे कभी भी पार नहीं करना चाहिए।अगर गलती से भी इसे पार कर लिया, तो व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रोग हो सकते हैं।

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घर में शिवलिंग जल का छिड़काव करना शुभ

शास्त्रों के अनुसार, शिवलिंग का ऊपरी भाग शिव जी( पुरुष) का और निचला भाग मां पार्वती (स्त्री) का प्रतिनिधित्व करता है। इसी कारण शिवलिंग को शिव और शक्ति दोनों का प्रतीक माना जाता है। यह ऊर्जा का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। इसलिए कहा जाता है कि जलाभिषेक के दौरान मन और चित्त का शांत होना बेहद जरूरी है। ऐसा करने से दोनों शक्तियों की ऊर्जा का कुछ हिस्सा जल में भी आ जा जाता है। ऐसे में इस जल को पूरे घर और परिवार के सदस्यों के ऊपर छिड़कना चाहिए। ऐसा करने से घर की नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं और परिवार के सदस्यों को रोगों से भी छुटकारा मिल जाता है।

Pic Credit- instagram/12jyotirling_darshan

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