Sawan 2022: शिवलिंग पर इस दिशा में खड़े होकर बिल्कुल न चढ़ाएं जल, जानिए जलाभिषेक के नियम
Sawan 2022 Rudrabhishek Niyam भगवान शिव का प्रिय माह सावन शुरू हो चुका है। इस पूरे माह में भोलेनाथ को जलाभिषेक करना काफी शुभ माना जाता है। मान्यता है कि जलाभिषेक करने से भोलेनाथ जल्द प्रसन्न होते हैं। जानिए जलाभिषेक करने के नियम
By Shivani SinghEdited By: Updated: Thu, 14 Jul 2022 08:18 AM (IST)
नई दिल्ली, Sawan 2022 Jalabhishek: भगवान शिव को जलाभिषेक सबसे ज्यादा प्रिय है। माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से भगवान शिव का जल से अभिषेक करता है। भगवान उसके हर दख को हर लेते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। लेकिन की बार शिललिंग में जलाभिषेक करते समय कुछ गलतियां कर देते हैं जिसके कारण पूर्ण फल की प्राप्ति नहीं होती है। जानिए शिवलिंग में जलाभिषेक करते समय किन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही जानिए जल अर्पित करते समय किस मंत्र का जाप करना होगा शुभ।
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय बोले ये मंत्र
मन्दाकिन्यास्तु यद्वारि सर्वपापहरं शुभम् । तदिदं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥
श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः । स्नानीयं जलं समर्पयामि।
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शिवलिंग में जल चढ़ाते समय न करें ये गलतियां
- शिवलिंग में जल चढ़ाते समय पूर्व दिशा की ओर नहीं खड़ा होना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
- शास्त्रों के अनुसार, पश्चिम दिशा की ओर खड़े होकर भगवान शिव को जल अर्पित न करें। क्योंकि पश्चिम दिशा में भगवान की पीठ होती है। इसलिए इस दिशा में खड़े होकर जलाभिषेक करने से फलों की प्राप्ति नहीं होगी।
- शास्त्र के अनुसार, शिवलिंग में जल चढ़ाते समय दक्षिण दिशा की ओर खड़े होना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से व्यक्ति का मुख उत्तर दिशा की ओर होगा। उत्तर दिशा को देवी-देवता की दिशा मानी जाती है।
- माना जाता है कि शिवलिंग को जल चढ़ाने के लिए तांबे, चाँदी और कांसे के लोटे का ही इस्तेमाल करें।
- शिवलिंग में जल चढ़ाने के लिए तांबे, स्टील आदि के लोटे का इस्तेमाल करने से बचें।
- शिवलिंग में कभी भी तेजी से जल अर्पित न करें। शिव जी का एक धारा में जल अर्पित करना शुभ माना जाता है।
- शिवलिंग में जल चढ़ाते समय. कभी भी तुलसी का इस्तेमाल न करें। भगवान शिव को तुलसी चढ़ाना वर्जित है।
- शिवलिंग में जल चढ़ाने के बाद पूरी परिक्रमा नहीं कपना चाहिए। क्योंकि जो जल अर्पित किया जाता है वह पवित्र हो जाता है। ऐसे में उस जल को लांघना अशुभ माना जाता है।
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