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Sawan 2023: सावन के पहले सोमवार पर चढ़ाने जा रहे हैं बेलपत्र तो इन नियमों का रखें विशेष ध्यान

Sawan 2023 सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन में के महीने भगवान शिव की विधिवत उपासना करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और कई प्रकार के दुःख और बाधाएं दूर हो जाती है। बता दें कि भगवान शिव को बेलपत्र बहुत प्रिय है। आइए जानते हैं इसके उपयोग के नियम।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Fri, 07 Jul 2023 02:18 PM (IST)
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Sawan 2023: पढ़िए क्या है सावन मास में बेलपत्र चढ़ाने का नियम?
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Sawan 2023: सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है। श्रावण मास को भगवान शिव की उपासना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और कई प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान शिव की उपासना में बेलपत्र होना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान शिव को बेलपत्र अत्यधिक प्रिय है।

माना जाता है कि जो साधक सावन मास में जलाभिषेक के उपरांत भोलेनाथ को बेलपत्र अर्पित करते हैं, उनसे भगवान शिव अत्यधिक प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन वैदिक शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि व्यक्ति को बेलपत्र चढ़ाते समय कुछ विशेष नियमों का ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं-

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सावन में करें बेलपत्र चढ़ाने के इन नियमों का पालन

  • भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि पत्ता कहीं से फटा या कटा हुआ ना हो। ऐसा करने से पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है। साथ ही सोमवार के दिन बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए।

  • बेलपत्र अर्पित करते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसमें तीन से कम पत्तियां ना हो। ऐसा करने से भगवान शिव क्रोधित हो सकते हैं। तीन पत्तियों वाला बेलपत्र शुभ माना जाता है। किसी व्यक्ति को यदि 05 पत्तियों का बेलपत्र मिलता है, उनके लिए आशीर्वाद के समान होता है। ऐसा क्योंकि ऐसा पत्ता मिलना बहुत ही दुर्लभ होता है।

  • भगवान शिव को सिर्फ बेलपत्र ना अर्पित करें। इसके साथ शिवलिंग पर जल की धारा भी जरूर चढ़ाते रहें, साथ ही ऐसा करते समय 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप निरंतर करते रहें।

  • बता दें कि कुछ ऐसी भी तिथियां हैं, जिनपर भगवान शिव को बेलपत्र नहीं अर्पित किया जाता है। यह सभी तिथि हैं- चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तथा संक्रांति।

  • किसी कारण से बेलपत्र यदि समाप्त हो जाता है तो शिवलिंग पर चढ़ाए गए बेलपत्र को पुनः स्वच्छ जल से पूजा में इस्तेमाल किया जा सकता है। बेलपत्र कभी भी अशुद्ध नहीं होते हैं।

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डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।