Sawan 2024 Shiva Mantra: सावन में रोजाना पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, दूर हो जाएंगे सभी दुख एवं कष्ट
धार्मिक मत है कि सावन महीने में (Sawan 2024) भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही घर में सुख समृद्धि एवं खुशहाली आती है। ज्योतिष भी शीघ्र विवाह के इच्छुक जातक को सावन महीने में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने की सलाह देते हैं। भगवान शिव की पूजा करने से कुंडली में चंद्र और शुक्र ग्रह मजबूत होता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sawan Somwar 2024: सावन माह की शुरुआत हो चुकी है। यह माह पूर्णतया देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस महीने में भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त सावन सोमवार और मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। सावन सोमवार व्रत की महिमा शिव पुराण में निहित है। इस व्रत को करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। अगर आप भी सावन महीने में भगवान शिव को प्रसन्न कर उनकी कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो सावन में रोजाना विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करें। इस समय भगवान शिव का अभिषेक करें। वहीं, पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।
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भगवान शिव के मंत्र (Shiva Mantra)
शिव मूल मंत्र
ॐ नमः शिवाय॥
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
रूद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
रूद्र मंत्र
ॐ नमो भगवते रूद्राय ।
शिव प्रार्थना मंत्र
करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥
नामावली मंत्र
श्री शिवाय नम:
श्री शंकराय नम:
श्री महेश्वराय नम:
श्री सांबसदाशिवाय नम:
श्री रुद्राय नम:
ॐ पार्वतीपतये नम:
ॐ नमो नीलकण्ठाय नम:
धन प्राप्ति मंत्र
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्रमात्रं जपेन्नरः।
दुःस्वप्नं न भवेत्तत्र सुस्वप्नमुपजायते।।
शिव आवाहन मंत्र
ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन ।
तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ।।
वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने ।
नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने ।
आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।
त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः ।
नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।
नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ।।
देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम् ।
नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च ।
नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय ।।
अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम् ।
नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम् ।।
सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये ।।
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