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Sawan Durgashtami 2024: सावन दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा को ऐसे करें प्रसन्न, सभी परेशानी होंगी दूर

सावन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस शुभ तिथि पर श्रदा अनुसार दान करने से जातक को धन का लाभ मिलता है और बिजनेस में बढ़ोतरी होती है। यदि आप मां दुर्गा को प्रसन्न करना चाहते हैं तो दुर्गाष्टमी (Sawan Durgashtami 2024) पर विधिपर्वक मां दुर्गा की पूजा करें।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 11 Aug 2024 05:07 PM (IST)
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Sawan Durgashtami 2024: मासिक दुर्गाष्टमी जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा को समर्पित है
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sawan Durgashtami 2024: मासिक दुर्गाष्टमी का पर्व मां दुर्गा को समर्पित है। यह त्योहार हर महीने बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। मासिक दुर्गाष्टमी के अवसर पर मां दुर्गा की विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि इस शुभ तिथि पर सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा और व्रत करने से साधक को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति होती है और मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है। अगर आप भी जीवन में खुशियों का आगमन चाहते हैं, तो सावन दुर्गाष्टमी के दिन पूजा के दौरान दुर्गा चालीसा का पाठ करें। इससे साधक को जीवन की परेशानियों से मुक्ति मिलेगी।

सावन दुर्गाष्टमी 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Sawan Durgashtami 2024 Date and Shubh Muhurat)

ज्योतिषियों की मानें तो सावन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 12 अगस्त को भारतीय समयानुसार सुबह 07 बजकर 56 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, अष्टमी तिथि का समापन 13 अगस्त को सुबह 09 बजकर 31 मिनट पर होगा। अत: 13 अगस्त को सावन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी है।

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दुर्गा चालीसा (Durga Chalisa)

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अंबे दुःख हरनी॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुँलोक में डंका बाजत॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

परी गाढ़ सन्तन पर जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

शंकर अचरज तप कीनो। काम क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

आशा तृष्णा निपट सतावें। रिपु मुरख मोही डरपावे॥

करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।

जब लगि जियऊं दया फल पाऊं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥

श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥

॥ इति श्रीदुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।