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Guru Pradosh Vrat 2024: महादेव और माता पार्वती की आरती करने से जीवन में नहीं आएगी कोई समस्या, पूजा होगी सफल

सनातन शास्त्रों में प्रदोष व्रत की महिमा का खास उल्लेख देखने को मिलता है। इस दिन शिव जी और माता पार्वती की पूजा संध्याकाल में करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि इस तिथि पर उपासना करने से महादेव प्रसन्न होकर जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इसके अलावा कभी भी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Thu, 01 Aug 2024 06:30 AM (IST)
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Lord Shiv Aarti: भगवान शिव और माता पार्वती को इस तरह करें प्रसन्न
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Guru Pradosh Vrat 2024: सनातन धर्म में सभी त्योहार किसी न किसी देवी-देवताओं को समर्पित है। ठीक इसी प्रकार कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर महादेव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया है। पंचांग के अनुसार सावन के महीने का पहला प्रदोष व्रत आज यानी 01 अगस्त (Sawan Pradosh Vrat 2024) को किया जा रहा है। इस दिन पूजा के दौरान शिव जी और माता पार्वती की आरती जरूर करनी चाहिए। माना जाता है कि आरती न करने से पूजा अधूरी रहती है। आइए पढ़ते हैं भगवान शिव और माता पार्वती की आरती।  

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शिव जी की आरती (Lord Shiv Aarti)

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥

माता पार्वती की आरती (Mata Parvati Ki Aarti)

जय पार्वती माता जय पार्वती माता

ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता

जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुणगु गाता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा

देव वधुजहं गावत नृत्य कर ताथा।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता

हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

शुम्भ निशुम्भ विदारेहेमांचल स्याता

सहस भुजा तनुधरिके चक्र लियो हाथा।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

सृष्ट‍ि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता

नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

देवन अरज करत हम चित को लाता

गावत दे दे ताली मन मेंरंगराता।

जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता

सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।

जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।