Move to Jagran APP

Sawan Purnima 2023: आज संध्या आरती के समय करें इस स्तोत्र का पाठ, सभी दुखों का होगा नाश

Sawan Purnima 2023 सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि पर स्नान-ध्यान पूजा जप-तप और दान करने का विधान है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। धार्मिक मत है कि पूर्णिमा तिथि पर लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से सुख समृद्धि सौभाग्य और धन में मन मुताबिक वृद्धि होती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 30 Aug 2023 01:22 PM (IST)
Hero Image
Sawan Purnima 2023: आज संध्या आरती के समय करें इस स्तोत्र का पाठ, सभी दुखों का होगा नाश
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Sawan Purnima 2023: आज सावन पूर्णिमा है। हर वर्ष सावन पूर्णिमा पर रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। हालांकि, भद्रा काल के चलते इस वर्ष 30 अगस्त को रात 09 बजकर 05 मिनट से लेकर 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक राखी बांधने का शुभ मुहूर्त है। सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि पर स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप और दान करने का विधान है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। धार्मिक मत है कि पूर्णिमा तिथि पर लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से सुख, समृद्धि और धन में वृद्धि होती है। अगर आप भी अपने जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट से निजात पाना चाहते हैं, तो आज संध्या आरती के समय इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। आइए, लक्ष्मी नारायण स्तोत्र का पाठ करें-

लक्ष्मी नारायण स्तोत्र

चक्रं विद्या वर घट गदा दर्पणम् पद्मयुग्मं

दोर्भिर्बिभ्रत्सुरुचिरतनुं मेघविद्युन्निभाभम् ।

गाढोत्कण्ठं विवशमनिशं पुण्डरीकाक्षलक्ष्म्यो-

रेकीभूतं वपुरवतु वः पीतकौशेयकान्तम् ॥

शंखचक्रगदापद्मकुंभाऽऽदर्शाब्जपुस्तकम्।

बिभ्रतं मेघचपलवर्णं लक्ष्मीहरिं भजे ॥

विद्युत्प्रभाश्लिष्टघनोपमानौ शुद्धाशयेबिंबितसुप्रकाशौ।

चित्ते चिदाभौ कलयामि लक्ष्मी- नारायणौ सत्त्वगुणप्रधानौ ॥

लोकोद्भवस्थेमलयेश्वराभ्यां शोकोरुदीनस्थितिनाशकाभ्याम्।

नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

सम्पत्सुखानन्दविधायकाभ्यां भक्तावनाऽनारतदीक्षिताभ्याम् ।

नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

दृष्ट्वोपकारे गुरुतां च पञ्च-विंशावतारान् सरसं दधत्भ्याम् ।

नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

क्षीरांबुराश्यादिविराट्भवाभ्यां नारं सदा पालयितुं पराभ्याम् ।

नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

दारिद्र्यदुःखस्थितिदारकाभ्यां दयैवदूरीकृतदुर्गतिभ्याम्

नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

भक्तव्रजाघौघविदारकाभ्यां स्वीयाशयोद्धूतरजस्तमोभ्याम्।

नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

रक्तोत्पलाभ्राभवपुर्धराभ्यां पद्मारिशंखाब्जगदाधराभ्याम्।

नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

अङ्घ्रिद्वयाभ्यर्चककल्पकाभ्यां मोक्षप्रदप्राक्तनदंपतीभ्याम्।

नित्यं युवाभ्यां नतिरस्तु लक्ष्मी-नारायणाभ्यां जगतः पितृभ्याम् ॥

इदं तु यः पठेत् स्तोत्रं लक्ष्मीनारयणाष्टकम्।

ऐहिकामुष्मिकसुखं भुक्त्वा स लभतेऽमृतम् ॥

धन प्राप्ति मंत्र

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ।

ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।

डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।