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Sawan Purnima 2024: सावन पूर्णिमा पर पूजा के दौरान करें विशेष कार्य, कभी नहीं होगी धन की कमी

सनातन धर्म में सावन पूर्णिमा को महत्वपूर्ण माना गया है। हर माह के शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा पड़ती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सावन पूर्णिमा के दिन जगत के पालनहार भगवन विष्णु की आरती न करने से पूजा अधूरी मानी जाती है। इसी वजह से प्रभु की आरती जरूर करनी चाहिए। ऐसा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 18 Aug 2024 06:07 PM (IST)
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Sawan Purnima 2024: सावन पूर्णिमा पर जरूर करें श्रीहरि की आरती

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sawan Purnima 2024: पंचांग के अनुसार, आज यानी 19 अगस्त को सावन पूर्णिमा का त्योहार मनाजा रहा है। इस तिथि पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही विशेष चीजों का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से धन लाभ के योग बनते हैं। अगर आप जीवन में धन की कमी का सामना कर रहे हैं, तो सावन पूर्णिमा के दिन पूजा के दौरान भगवान विष्णु की आरती करना न भूलें। आइए पढ़ते हैं भगवान विष्णु की आरती।

सावन पूर्णिमा तिथि और समय (Sawan Purnima 2024 Date Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल सावन मास की पूर्णिमा 19 अगस्त, 2024 को मनाई जाएगी। सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त को सुबह 03 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, यह तिथि रात्रि 11 बजकर 55 मिनट तक मान्य रहेगी।

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श्री विष्णु आरती

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

स्वामी दुःख विनसे मन का।

सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

ॐ जय जगदीश हरे...

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।

स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

स्वामी तुम अन्तर्यामी।

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

स्वामी तुम पालन-कर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥

ॐ जय जगदीश हरे...

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

स्वामी पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥

ॐ जय जगदीश हरे...

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।