Move to Jagran APP

Sawan Shivratri 2022 Vrat Katha: सावन शिवरात्रि पर करें इस कथा का पाठ, शिवजी हर लेंगे हर कष्ट

Sawan Shivratri 2022 Vrat Katha सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव और मां पार्वती की विधिवत पूजा करने का विधान है। सावन शिवरात्रि पर काफी शुभ योग बन रहे हैं। ऐसे में सावन शिवरात्रि के इस व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए।

By Shivani SinghEdited By: Updated: Tue, 26 Jul 2022 12:09 PM (IST)
Hero Image
Sawan Shivratri 2022 Vrat Katha: सावन शिवरात्रि संपूर्ण व्रत कथा
नई दिल्ली, Sawan Shivratri 2022 Vrat Katha: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि शिवरात्रि पड़ती है। ऐसे में हर साल कुल 12 शिवरात्रि पड़ती है जिसमें हर का अपना एक महत्व है। वहीं श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ने वाली शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि के नाम से जानते हैं। आज सावन शिवरात्रि है। इस खास मौके पर भगवान शिव के साथ-साथ मां पार्वती की विधिवत पूजा की जा रही है। मान्यता है कि आज पूजा करने के साथ सावन शिवरात्रि की इस व्रत कथा का भी पाठ जरूर करना चाहिए। इसे करने से भोलेनाथ जल्द प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

तस्वीरों से समझें- सावन में सुहागिन महिलाएं जरूर करें ये काम

सावन शिवरात्रि व्रत कथा

शिव पुराण के अनुसार, एक समय में चित्रभानु नाम का एक शिकारी का था। वो शिकार कर अपने घर चलाता था। शिकारी के ऊपर साहूकार का काफी कर्ज था। वह कर्ज नहीं चुका पा रहा था। इसी के चलते साहूकार ने उसे बंदी बना लिया था। इस दिन शिवरात्रि थी। उसने दिन-भर शिव का स्मरण किया और उपवास किया। ऐसे ही पूरा दिन गुजर गया। शाम को साहूकार ने चित्रभानु को एक दिन का समय दिया कर्ज चुकाने के लिए और उसे छोड़ दिया।

कर्ज चुकाने के लिए चित्रभानु पूरा दिन बिना कुछ खाए-पिए जंगल में शिकार ढूंढने लगा। ऐसे ही शाम निकल गई और रात हो गई। इसके बाद वो रात बीतने के इंतजार में बेल के पेड़ पर चढ़ गया। इसी पेड़ के नीचे शिवलिंग था। बिना जाने शिकारी बेलपत्र तोड़कर नीचे की तरफ गिरा रहा था जो कि संयोगवश शिवलिंग पर गिर रहे थे। इससे उसका व्रत पूरा हो गया।

इसके बाद चित्रभानु को तालाब के किनारे एक गर्भिणी हिरणी दिखाई दी जो पानी पीने के लिए आई थी। उसका शिकार करने के लिए उसने धनुष-बाण निकाला। उस हिरणी ने चित्रभानु का देख लिया। इस पर उसने शिकारी से कहा कि उसके प्रसव का समय है। तुम दो जीव की हत्या करोगे। यह ठीक नहीं है। हिरणी ने शिकारी से वादा किया जब उसका बच्चा इस दुनिया में आ जाएगा तब वो खुद आएगी। तब वह उसका शिकार कर सकता है। लेकिन अभी उसे जाने दे। शिकारी ने उसकी बात मान ली और जाने दिया। इसके बाद प्रत्यंचा चढ़ाने तथा ढीली करते समय कुछ शिवलिंग पर कुछ और बेलपत्र गिर गए। ऐसे में चित्रभानु से अनजाने में शिव की प्रथम पहर की पूजा भी हो गई।

कुछ समय बीता। शिकारी को एक और हिरणी दिखी जो वहां से जा रही थी। उसे देखकर शिकारी बहुत खुश हुआ और शिकार करने के लिए तैयार हो गया। हिरणी ने उससे निवेदन किया कि वो कुछ ही देर पहले ऋतु से निवृत्त हुई है। मैं अपने प्रिय को ढूंढ रही हूं। मैं एक कामातुर विरहिणी हूं। जैसे ही मुझे मेरा पति मिल जाएगा वैसे ही मैं आ जाऊंगी। यह सुनकर शिकारी ने उसे जाने दिया। लेकिन वो बेहद चिंतित था। रात का आखिरी पहर बीतने ही वाला था। इस बार भी चित्रभानु से बेलपत्र टूटकर शिवलिंग पर गिर गए। इससे दूसरे पहर की पूजा भी हो गई।

इसके बाद उसे एक और हिरणी दिखी वो भी वहीं से जा रही थी। उसने उस हिरणी के शिकार का भी निर्णय लिया। उसने शिकारी से कहा कि मेरे बच्चे मेरे साथ हैं। मैं इन बच्चों को इनके पिता के पास छोड़कर आती हूं। इस समय मुझे जाने दो। शिकारी ने कहा कि वो इससे पहले भी दो हिरणियों को छोड़कर देख चुका है। वह इस बार इस हिरणी को नहीं छोड़ेगा। इस पर हिरणी ने कहा कि वो उसका विश्वास करें। मैं लौटने की प्रतिज्ञा लेती हूं। इन सब में शिकारी की शिवरात्रि की पूजा हो चुकी थी और सुबह भी हो चुकी थी। उपवास की पूजा भी हो गई थी। अब शिकारी को एक हिरण दिखा। उसने निश्चय किया कि वो उसका शिकार जरूर करेगा।

चित्रभानु ने प्रत्यंचा चढ़ा ली। इस पर हिरण ने कहा कि अगर उससे पहले आई तीन हिरणियों और उनके बच्चों का शिकार उसने किया हो तो उसका भी शिकार कर ले जिससे उसे उनके वियोग में दुखी न होना पड़े। लेकिन अगर उन्हें जीवनदान दिया है तो उसे भी छोड़ दे। जब वो उन सभी से मिल लेगा तो वो आ जाएगा। यह सुनकर शिकारी ने उस हिरण को रातभर का घटनाक्रम बताया। तब हिरण ने कहा कि वो तीनों हिरणियों उसी की पत्नी हैं। हिरण ने शिकारी से कहा कि जिस तरह से तीनों हिरणियां प्रतिज्ञाबद्ध होकर यहां से गई हैं। अगर उसकी मृत्यु हो जाती है तो वो धर्म का पालन नहीं कर पाएंगी। हिरण ने कहा कि जिस तरह उसने विश्वास कर हिरणियों को जाने दिया उसी तरह से उसे भी जाने दे। वह जल्दी ही पूरे परिवार के साथ शिकारी के सामने हाजिर हो जाएगा।

चित्रभानु ने उस पर भी विश्वास किया और जाने दिया। उसका मन निर्मल हो चुका था क्योंकि वो शिवरात्रि का व्रत पूरा कर चुका था। उसके अंदर भक्ति की भावना आ चुकी थी। कुछ ही समय बाद वो हिरण अपने परिवार के साथ शिकारी के सामने हाजिर हो गया। उनकी सत्यता, सात्विकता एवं प्रेम भावना देखकर शिकारी को बेहद आत्मग्लानि हुई। इस भाव में उसने जीवों को जीवनदान दे दिया। व्रत पूरा करने से ​चित्रभानु को मोक्ष मिल गया। उसकी मृत्यु के बाद उस शिकारी को शिवगण अपने साथ शिवलोक ले गए।

Pic Credit- Freepik

डिसक्लेमर'

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'