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Sawan Som Pradosh Vrat 2023: सावन प्रदोष व्रत पर इस शुभ मुहूर्त में करें भगवान शिव की उपासना

Sawan Pradosh Vrat 2023 श्रावण मास में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। बता दें कि 28 अगस्त को श्रावण मास का अंतिम प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन चार अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है जिसमें पूजा-पाठ का विशेष महत्व है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Sun, 27 Aug 2023 03:45 PM (IST)
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Sawan Som Pradosh Vrat 2023: सावन सोम प्रदोष व्रत पर इस शुभ मुहूर्त में करें भगवान शिव की उपासना।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Sawan Som Pradosh Vrat 2023: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन का पवित्र महीना भगवान शिव को सर्वाधिक प्रिय है। श्रावण मास में प्रदोष व्रत का भी विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन श्रावण मास का अंतिम प्रदोष व्रत रखा जाएगा।

मान्यता है कि सावन प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना करने से साधक को रोग, दोष और सभी समस्याओं से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। बता दें कि श्रावण मास का अंतिम प्रदोष व्रत 28 अगस्त 2023 के दिन रखा जाएगा। सोमवार का दिन होने के कारण इसे सोम प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाएगा। इस विशेष दिन पर सावन सोमवार व्रत भी रखा जाएगा। आइए जानते हैं, श्रावण प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त पूजा विधि और शुभ योग।

श्रावण प्रदोष व्रत 2023 तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 अगस्त संध्या 07 बजकर 52 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 29 अगस्त शाम 04 बजकर 17 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में सावन प्रदोष व्रत 28 अगस्त 2023, सोमवार के दिन रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर प्रदोष पूजा मुहूर्त शाम 04 बजकर 52 मिनट से रात्रि 08 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।

श्रावण प्रदोष व्रत 2023 शुभ योग

हिंदू पंचांग में बताया गया है कि श्रावण मास के अंतिम प्रदोष व्रत के दिन चार अत्यंत सहयोग का निर्माण हो रहा है। इस विशेष दिन पर आयुष्मान योग, सौभाग्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है। बता दें कि आयुष्मान योग सुबह 11 बजकर 26 मिनट तक रहेगा और इसके बाद सौभाग्य योग शुरू हो जाएगा। वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग सुबह 04 बजकर 30 मिनट से 29 अगस्त सुबह 06 बजकर 06 मिनट तक रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन शुभ मुहूर्त में पूजा-पाठ और स्नान-दान करने से साधक को देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

श्रावण सोम प्रदोष व्रत 2023 पूजा विधि

शास्त्रों बताया गया है कि श्रावण प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में सूर्यआस्त से कुछ समय पहले भगवान शिव की उपासना प्रारंभ कर देनी चाहिए। इस विशेष दिन पर सुबह विधि-विधान से भगवान शिव का अभिषेक करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद संध्या काल में स्नान-ध्यान के बाद साफ वस्त्र धारण कर लें। फिर भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें और उन्हें गंध, पुष्प, धूप, दीप, बेलपत्र, अक्षत और गंगाजल इत्यादि अर्पित करें।

पूजा के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि आपका मुख उत्तर दिशा में हो। पूजा के समय ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप निरंतर करते रहें और रुद्राभिषेक के समय महामृत्युंजय मंत्र 'ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।' का जाप कम से कम 108 बार जरूर करें। पूजा के अंत में शिव चालीसा पाठ करें और भगवान शिव की आरती के साथ पूजा संपन्न करें।

श्रावण सोम प्रदोष व्रत भगवान शिव मंत्र

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।

नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नम: शिवाय ।।

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।

श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै शिकाराय नम: शिवाय ।।

द्वादश ज्योतिर्लिंग उपासना

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् ।

उज्जयिन्यां महाकालम्ॐकारममलेश्वरम् ।।

परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम् ।

सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ।।

वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमीतटे ।

हिमालये तु केदारम् घुश्मेशं च शिवालये ।।

एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः ।

सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ।।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहे।