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Shani Jayanti 2024: शनि कवच से दूर होंगे दुख और कष्ट, जरूर करें इसका पाठ

शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर शनि देव का अवतरण माना जाता है। इसलिए इस दिन हर वर्ष शनि जयंती मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन शनि देव की पूजा करने से शनि दोष से छुटकारा मिलता है और शनि देव प्रसन्न होते हैं। शनि जयंती पर शनि कवच का पाठ करने से कष्ट और दुख दूर होते हैं।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 05 Jun 2024 01:22 PM (IST)
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Shani Jayanti 2024: शनि कवच से दूर होंगे दुख और कष्ट, जरूर करें इसका पाठ

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shani Kavach Ka Path: शनि जयंती का त्योहार शनि देव के भक्त अधिक उत्साह के साथ मनाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर शनिदेव का जन्म हुआ था। इसी वजह से इस दिन को शनि जयंती के तौर पर मनाया जाता है। इस वर्ष शनि जयंती 06 जून को पड़ रही है। मान्यता है कि इस अवसर तिथि पर शनि देव की पूजा करने से जातक को जीवन में आने वाली सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। अगर आप भी शनि दोष से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो शनि जयंती की पूजा के दौरान शनि कवच का पाठ जरूर करें। इससे कष्ट और दुख दूर होंगे। आइए पढ़ते हैं शनि कवच।

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शनि जयंती 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Shani Jayanti 2024 Date and Shubh Muhurat)

ज्येष्ठ अमावस्या तिथि की शुरुआत रात 07 बजकर 54 मिनट पर होगी और अगले दिन 06 जून को संध्याकाल 06 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में 06 जून को शनि जयंती का पर्व मनाया जाएगा।

शनि कवच (Shani Kavach)

अस्य श्री शनैश्चरकवचस्तोत्रमंत्रस्य कश्यप ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, शनैश्चरो देवता, शीं शक्तिः,

शूं कीलकम्, शनैश्चरप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः

नीलाम्बरो नीलवपु: किरीटी गृध्रस्थितत्रासकरो धनुष्मान्।

चतुर्भुज: सूर्यसुत: प्रसन्न: सदा मम स्याद्वरद: प्रशान्त:।।

श्रृणुध्वमृषय: सर्वे शनिपीडाहरं महंत्।

कवचं शनिराजस्य सौरेरिदमनुत्तमम्।।

कवचं देवतावासं वज्रपंजरसंज्ञकम्।

शनैश्चरप्रीतिकरं सर्वसौभाग्यदायकम्।।

ऊँ श्रीशनैश्चर: पातु भालं मे सूर्यनंदन:।

नेत्रे छायात्मज: पातु कर्णो यमानुज:।।

नासां वैवस्वत: पातु मुखं मे भास्कर: सदा।

स्निग्धकण्ठश्च मे कण्ठ भुजौ पातु महाभुज:।।

स्कन्धौ पातु शनिश्चैव करौ पातु शुभप्रद:।

वक्ष: पातु यमभ्राता कुक्षिं पात्वसितस्थता।।

नाभिं गृहपति: पातु मन्द: पातु कटिं तथा।

ऊरू ममाSन्तक: पातु यमो जानुयुगं तथा।।

पदौ मन्दगति: पातु सर्वांग पातु पिप्पल:।

अंगोपांगानि सर्वाणि रक्षेन् मे सूर्यनन्दन:।।

इत्येतत् कवचं दिव्यं पठेत् सूर्यसुतस्य य:।

न तस्य जायते पीडा प्रीतो भवन्ति सूर्यज:।।

व्ययजन्मद्वितीयस्थो मृत्युस्थानगतोSपि वा।

कलत्रस्थो गतोवाSपि सुप्रीतस्तु सदा शनि:।।

अष्टमस्थे सूर्यसुते व्यये जन्मद्वितीयगे।

कवचं पठते नित्यं न पीडा जायते क्वचित्।।

इत्येतत् कवचं दिव्यं सौरेर्यन्निर्मितं पुरा।

जन्मलग्नस्थितान्दोषान् सर्वान्नाशयते प्रभु:।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।