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Shanidev Aarti And Mantra: शनिदेव की आरती और मंत्रों का जाप करने से होता है उद्धार

Shanidev Aarti And Mantra सूर्य पुत्र शनिदेव कर्मफल दाता हैं। कई लोग इनके बारे में गलत धारणा रखते हैं कि ये मारक अशुभ और दुख कारक हैं लेकिन ऐसा नहीं हैं।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Sat, 18 Jul 2020 09:12 AM (IST)
Shanidev Aarti And Mantra: शनिदेव की आरती और मंत्रों का जाप करने से होता है उद्धार
Shanidev Aarti And Mantra: सूर्य पुत्र शनिदेव कर्मफल दाता हैं। कई लोग इनके बारे में गलत धारणा रखते हैं कि ये मारक, अशुभ और दु:ख कारक हैं लेकिन ऐसा नहीं हैं। पूरी प्रकृति में एक शनि ही ऐसे हैं जो संतुलन पैदा करते हैं। हर प्राणी को उसके कर्मोंनुसार फल देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि शनि उन ग्रहों में से एक हैं जिनकी क्रूर दृष्टि राजा को रंक बना सकती है। लेकिन अगर इनकी अच्छी दृष्टि किसी व्यक्ति पर पड़ जाए तो उसका उद्धार भी कर सकती है। ऐसे लोगों के घर कभी दरिद्रता नहीं आ सकती है। कई लोग ऐसे हैं जो शनि की भक्ती में लीन रहते हैं। अगर आप भी शनिदेव के भक्त हैं तो आप शनिवार को उनकी आरती कर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं। यहां पढ़ें शनिदेव की आरती:

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।

सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥

जय जय श्री शनि देव....

श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।

नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥

जय जय श्री शनि देव....

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।

मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥

जय जय श्री शनि देव....

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।

लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥

जय जय श्री शनि देव....

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।

विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥

जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।

शनिदेव के मंत्र: हम आपको शनिदेव के 5 मंत्रों की जानकारी भी दे रहे हैं जो आपको कष्टों से मुक्त करा सकते हैं। इनका उच्चारण आपको पूरे मन से श्रद्धपूर्वक करना होगा। इनका जाप शनिवार के दिन या शनि जयंती पर करने से व्यक्ति के कष्टों का अंत होता है। ध्यान रहे कि मंत्रों का उच्चारण एकदम ठीक होना चाहिए। कहीं भी कोई त्रुटी नहीं होनी चाहिए।

  • ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।
  • ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:
  • मंत्र- ॐ ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।
  • कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
  • सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।