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Sharad Purnima 2022: इस दिन रखा जाएगा शरद पूर्णिमा व्रत, जानिए व्रत तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व और पूजा विधि

Sharad Purnima 2022 date time हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को कार्तिक मास आता है जिसे शरद पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन चंद्रमा 16 कालाओं से पूर्ण होता है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा से अमृत बरसता है। जानिए शरद पूर्णिमा का मुहूर्त और पूजा विधि।

By Shivani SinghEdited By: Updated: Sat, 08 Oct 2022 01:55 PM (IST)
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Sharad Purnima 2022 Date And Time: कब है शरद पूर्णिमा? जानिएतिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व
नई दिल्ली, Sharad Purnima 2022 Date And Time: प्रत्येक वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा व्रत रखा जाता है। इस दिन चंद्रमा पूरी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष शरद पूर्णिमा व्रत 9 अक्टूबर, रविवार को रखा जाएगा। मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा का विधान शास्त्रों में वर्णित है। इस दिन धरती पर माता लक्ष्मी का आगमन होता है। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व।

शरद पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि आरंभ- 9 अक्टूबर सुबह 3 बजकर 41 मिनट से शुरू

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 10 अक्टूबर सुबह 2 बजकर 25 मिनट तक

चंद्रोदय का समय- 9 अक्टूबर शाम 5 बजकर 58 मिनट

शरद पूर्णिमा पर बन रहा खास योग

इस साल शरद पूर्णिमा पर काफी खास संयोग बन रहा है इस दिन वर्धमान के साथ धुव्र योग बन रहा है। इसके साथ उत्तराभाद्र और रेवती नक्षत्र बन रहा है। ऐसे में शरद पूर्णिमा का दिन काफी खास है।

शरद पूर्णिमा का महत्व

हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का काफी महत्व है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा, कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुई थी। इस दिन मां की पूजा विधिवत तरीके से करने से सुख-समृद्धि, धन वैभव की प्राप्ति होती है। 

शरद पूर्णिमा 2022 पूजा विधि

शरद पूर्णिमा के दिन स्नान दान का काफी अधिक महत्व है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत रखें।

एक साफ सुथरी जगह में पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रख दें। इसके बाद फूल, अक्षत, चंदन, धूप, नैवेद्य, सुपारी, पान, लौंग, बाताशा, भोग आदि चढ़ा दें। इसके बाद विष्णु जी की आरती कर लें।

दिन में किसी समय खीर बनाकर रख लें। इसके साथ ही शाम को चंद्रमा निकलने के 1-2 घंटे बार चंद्रमा की किरणों के सामने खीर रख दें। इसे किसी पारदर्शी चीज से ढक दें। अगले दिन सुबह उठकर इस खीर से मां लक्ष्मी को भोग लगाएं और फिर इसे प्रसाद के रूप में खाएं।

डिसक्लेमर

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। ही चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होता है। ऐसे में चंद्रमा की रोशनी में खीर रखना शुभ माना जाता है। क्योंकि मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा से अमृत बरसता है।