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Sharad Purnima 2024: इस आरती के बिना अधूरी है शरद पूर्णिमा की पूजा, खुशियों से भर जाएगी खाली झोली

ज्योतिष शास्त्र में शरद पूर्णिमा पर विशेष उपाय करने का विधान है। इन उपायों को करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। ज्योतिष शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2024 Upay) पर लक्ष्मी नारायण जी को चावल की खीर पूजा के दौरान अर्पित करने की सलाह देते हैं। इस उपाय को करने से सुखों में वृद्धि होती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 16 Oct 2024 09:17 AM (IST)
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Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी 16 अक्टूबर (Sharad Purnima Kab Ki Hai) को शरद पूर्णिमा है। यह दिन भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है। इसके साथ ही संध्याकाल में चंद्र देव की उपासना की जाती है। धार्मिक मत है कि शरद पूर्णिमा तिथि पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक को स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही आय और धन-धान्य में बढ़ोतरी होती है। इस शुभ अवसर पर साधक भक्ति भाव से भगवान विष्णु संग धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। अगर आप भी लक्ष्मी नारायण जी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो आज विधि-विधान से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। वहीं, पूजा समापन के समय ये आरती जरूर करें।

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ॐ जय जगदीश हरे आरती

ॐ जय जगदीश हरे...

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

स्वामी दुःख विनसे मन का।

सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

ॐ जय जगदीश हरे...

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।

स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

स्वामी तुम अन्तर्यामी।

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

स्वामी तुम पालन-कर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥

ॐ जय जगदीश हरे...

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

स्वामी पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥

ॐ जय जगदीश हरे...

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

मां लक्ष्मी की आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुम को निश दिन सेवत, हर विष्णु विधाता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता

सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

दुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पति दाता

जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धि धन पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता

कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

जिस घर तुम रहती सब सद्‍गुण आता

सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता

खान पान का वैभव, सब तुमसे आता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता

उर आनंद समाता, पाप उतर जाता

ॐ जय लक्ष्मी माता।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।