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Shardiya Navratri 2023: नवरात्रि के चौथे दिन पूजा के समय करें इस स्तोत्र का पाठ, दूर हो जाएंगे दुख और संताप

धार्मिक मत है किअष्टभुजा धारी मां कुष्मांडा की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस वर्ष नवरात्रि की चतुर्थी तिथि रात 19 अक्टूबर को देर रात 01 बजकर 12 मिनट तक है। साधक सुविधा अनुसार समय पर ममतामयी मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना कर सकते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 17 Oct 2023 03:49 PM (IST)
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Shardiya Navratri 2023 Day 4: नवरात्रि के चौथे दिन पूजा के समय करें इस स्तोत्र का पाठ

धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Shardiya Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन सूर्य लोक की अधिष्ठात्री मां कुष्मांडा को समर्पित होता है। इस दिन मां कुष्मांडा की श्रद्धा भाव और विधि विधान से पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही साधक मां कुष्मांडा के निमित्त व्रत भी रखते हैं। धार्मिक मत है किअष्टभुजा धारी मां कुष्मांडा की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस वर्ष नवरात्रि की चतुर्थी तिथि रात 19 अक्टूबर को देर रात 01 बजकर 12 मिनट तक है। इस शुभ अवसर पर सौभाग्य योग, रवि योग, आयुष्मान योग, अमृत योग समेत 6 शुभ संयोग बन रहे हैं। साधक सुविधा अनुसार समय पर ममतामयी मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। अगर आप भी मां कुष्मांडा का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो पूजा के समय इस स्तोत्र का पाठ करें।

माँ कुष्मांडा देवी स्तोत्र

वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

सिंहरूढा अष्टभुजा कुष्माण्डा यशस्वनीम्॥

भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।

कमण्डलु चाप, बाण, पदमसुधाकलश चक्र गदा जपवटीधराम्॥

पटाम्बर परिधानां कमनीया कृदुहगस्या नानालंकार भूषिताम्।

मंजीर हार केयूर किंकिण रत्‍‌नकुण्डल मण्डिताम्।

प्रफुल्ल वदनां नारू चिकुकां कांत कपोलां तुंग कूचाम्।

कोलांगी स्मेरमुखीं क्षीणकटि निम्ननाभि नितम्बनीम् ॥

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स्त्रोत

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्।

जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।

चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

त्रैलोक्यसुंदरी त्वंहि दु:ख शोक निवारिणाम्।

परमानंदमयी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

देवी कवच

हसरै मे शिर: पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्।

हसलकरीं नेत्रथ, हसरौश्च ललाटकम्॥

कौमारी पातु सर्वगात्रे वाराही उत्तरे तथा।

पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।

दिग्दिध सर्वत्रैव कूं बीजं सर्वदावतु॥

माता कुष्मांडा मंत्र

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे।।

वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्।।

पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।

मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल, मण्डिताम्।।

प्रार्थना मंत्र

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

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