Durga Puja 2023 Day 5: नवरात्र के पांचवें दिन करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, दूर हो जाएंगे सभी दुख और संताप
सनातन शास्त्रों में ममतामयी मां दुर्गा की महिमा का बखान है। मां ममता की सागर होती हैं। अपने भक्तों के सभी दुख हर लेती हैं। उनकी कृपा से साधक के जीवन में सुख समृद्धि और शांति का आगमन होता है। अगर आप भी अपने जीवन में सुख शांति और समृद्धि पाना चाहते हैं तो पूजा के समय इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 18 Oct 2023 03:48 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Shardiya Navratri 2023 Day 5: शारदीय नवरात्र के पांचवें दिन जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के पंचम स्वरूप स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास रखा जाता है। सनातन शास्त्रों में ममतामयी मां दुर्गा की महिमा का बखान है। मां ममता की सागर होती हैं। अपने भक्तों के सभी दुख हर लेती हैं। उनकी कृपा से साधक के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन होता है। अतः साधक श्रद्धा भाव से स्कंदमाता की पूजा करते हैं। अगर आप भी अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि पाना चाहते हैं, तो नवरात्र के पांचवें दिन पूजा के समय इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।
माँ स्कंदमाता देवी स्तोत्र
वन्दे वांछित कामर्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्।सिंहारूढाचतुर्भुजास्कन्धमातायशस्वनीम्॥धवलवर्णाविशुद्ध चक्रस्थितांपंचम दुर्गा त्रिनेत्राम।
अभय पदमयुग्म करांदक्षिण उरूपुत्रधरामभजेम्॥पटाम्बरपरिधानाकृदुहज्ञसयानानालंकारभूषिताम्।मंजीर हार केयूर किंकिणिरत्नकुण्डलधारिणीम।।
प्रभुल्लवंदनापल्लवाधरांकांत कपोलांपीन पयोधराम्।कमनीयांलावण्यांजारूत्रिवलींनितम्बनीम्॥यह भी पढ़ें- शीघ्र विवाह के लिए शारदीय नवरात्रि में जरूर करें ये उपाय, चंद दिनों में घर बजेगी शहनाई
स्तोत्र नमामि स्कन्धमातास्कन्धधारिणीम्।समग्रतत्वसागरमपारपारगहराम्॥शिप्रभांसमुल्वलांस्फुरच्छशागशेखराम्।ललाटरत्नभास्कराजगतप्रदीप्तभास्कराम्॥महेन्द्रकश्यपाचतांसनत्कुमारसंस्तुताम्।सुरासेरेन्द्रवन्दितांयथार्थनिर्मलादभुताम्॥मुमुक्षुभिवचिन्तितांविशेषतत्वमूचिताम्।नानालंकारभूषितांकृगेन्द्रवाहनाग्रताम्।।सुशुद्धतत्वातोषणांत्रिवेदमारभषणाम्। सुधामककौपकारिणीसुरेन्द्रवैरिघातिनीम्॥शुभांपुष्पमालिनीसुवर्णकल्पशाखिनीम्।तमोअन्कारयामिनीशिवस्वभावकामिनीम्॥सहस्त्रसूर्यराजिकांधनज्जयोग्रकारिकाम्।सुशुद्धकाल कन्दलांसुभृडकृन्दमज्जुलाम्॥प्रजायिनीप्रजावती नमामिमातरंसतीम्।स्वकर्मधारणेगतिंहरिप्रयच्छपार्वतीम्॥इनन्तशक्तिकान्तिदांयशोथमुक्तिदाम्।पुन:पुनर्जगद्धितांनमाम्यहंसुराíचताम॥ जयेश्वरित्रिलाचनेप्रसीददेवि पाहिमाम्॥
स्तोत्र नमामि स्कन्धमातास्कन्धधारिणीम्।समग्रतत्वसागरमपारपारगहराम्॥शिप्रभांसमुल्वलांस्फुरच्छशागशेखराम्।ललाटरत्नभास्कराजगतप्रदीप्तभास्कराम्॥महेन्द्रकश्यपाचतांसनत्कुमारसंस्तुताम्।सुरासेरेन्द्रवन्दितांयथार्थनिर्मलादभुताम्॥मुमुक्षुभिवचिन्तितांविशेषतत्वमूचिताम्।नानालंकारभूषितांकृगेन्द्रवाहनाग्रताम्।।सुशुद्धतत्वातोषणांत्रिवेदमारभषणाम्। सुधामककौपकारिणीसुरेन्द्रवैरिघातिनीम्॥शुभांपुष्पमालिनीसुवर्णकल्पशाखिनीम्।तमोअन्कारयामिनीशिवस्वभावकामिनीम्॥सहस्त्रसूर्यराजिकांधनज्जयोग्रकारिकाम्।सुशुद्धकाल कन्दलांसुभृडकृन्दमज्जुलाम्॥प्रजायिनीप्रजावती नमामिमातरंसतीम्।स्वकर्मधारणेगतिंहरिप्रयच्छपार्वतीम्॥इनन्तशक्तिकान्तिदांयशोथमुक्तिदाम्।पुन:पुनर्जगद्धितांनमाम्यहंसुराíचताम॥ जयेश्वरित्रिलाचनेप्रसीददेवि पाहिमाम्॥