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Navratri 2023 : नवरात्र के सातवें दिन 'भद्रावास' योग समेत बन रहे हैं ये 4 संयोग, प्राप्त होगा मां का आशीर्वाद

नवरात्र की सप्तमी तिथि 22 अक्टूबर को रात 09 बजकर 53 मिनट तक है। इसके पश्चात अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी। साधक विधिपूर्वक दिन और निशा काल में मां काली की उपासना और साधना कर सकते हैं। जगत जननी आदिशक्ति मां काली की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। साथ ही बिगड़े काम बनने लगते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Fri, 20 Oct 2023 11:03 AM (IST)
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Shardiya Navratri 2023 Day 7: नवरात्र के सातवें दिन 'भद्रावास' योग समेत बन रहे हैं ये 4 अद्भुत संयोग

धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Shardiya Navratri 2023 Day 7: शारदीय नवरात्र की सप्तमी तिथि पर जगत जननी आदिशक्ति के सातवें स्वरूप मां काली की पूजा-अर्चना की जाती है। तंत्र मंत्र सीखने वाले साधक नवरात्र की सप्तमी तिथि पर विशेष अनुष्ठान करते हैं। शास्त्रों में मां काली की पूजा निशा काल में करने का विधान है। अतः निशा काल में मां काली की पूजा की जाती है। इस काल में उपासना करने से मां शीघ्र प्रसन्न होती हैं। उनकी कृपा से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्त होती है। ज्योतिषियों की मानें तो नवरात्र की सप्तमी तिथि पर सुकर्मा योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही भाद्रावास का भी योग बन रहा है। इससे साधकों को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। साथ ही समस्त लोक का कल्याण होगा। आइए, शुभ योग, मुहूर्त और पूजा का सही समय जानते हैं-

शुभ मुहूर्त

नवरात्र की सप्तमी तिथि 22 अक्टूबर को रात 09 बजकर 53 मिनट तक है। इसके पश्चात, अष्टमी तिथि शुरू होगी। साधक दिन और निशा काल में मां काली की उपासना और साधना कर सकते हैं। जगत जननी मां काली की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। साथ ही बिगड़े काम बनने लगते हैं।

सुकर्मा योग

नवरात्र की सप्तमी तिथि पर सुकर्मा योग का भी निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 22 अक्टूबर की रात 12 बजकर 37 मिनट तक है। ज्योतिष सुकर्मा योग को शुभ कार्य करने के लिए उत्तम मानते हैं। इस योग में मां की पूजा आराधना करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होती है।

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भद्रावास

नवरात्र के सातवें दिन दुर्लभ 'भद्रावास' का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण संध्याकाल 09 बजकर 53 मिनट से रात्रि भर है । धार्मिक मान्यता है कि जब भद्रा स्वर्ग में रहती है, तो समस्त मानव जगत का कल्याण होता है। अत: नवरात्र की सप्तमी तिथि शुभ है।

करण

शारदीय नवरात्र की षष्ठी तिथि पर सर्वप्रथम गर करण का निर्माण हो रहा है। गर करण सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक है। इसके बाद वणिज करण का निर्माण हो रहा है, जो रात 09 बजकर 53 मिनट तक है। गर और वणिज दोनों करण शुभ माने जाते हैं। इस योग में मां की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 25 मिनट पर

सूर्यास्त - शाम 17 बजकर 46 मिनट पर

चंद्रोदय- शाम 05 बजकर 46 मिनट पर

चंद्रास्त- रात 10 बजकर 59 मिनट पर

पंचांग

ब्रह्म मुहूर्त - 04 बजकर 44 मिनट से 05 बजकर 35 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 59 मिनट से 2 बजकर  44 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 28 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 46 मिनट से 06 बजकर 11 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक

अशुभ समय

राहु काल - सुबह 09 बजकर 15 मिनट से 10 बजकर 40 मिनट तक

गुलिक काल - सुबह 06 बजकर 25 मिनट से  07 बजकर 40 मिनट तक

दिशा शूल - पूर्व

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।