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Shardiya Navratri के दूसरे दिन पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, आर्थिक तंगी से मिलेगी निजात

मां ब्रह्मचारिणी (Shardiya Navratri 2024 Day 2) की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से मां दुर्गा की पूजा-उपासना करते हैं। मां ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं। उनकी कृपा से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट यथाशीघ्र दूर हो जाते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 03 Oct 2024 05:01 PM (IST)
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Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्र का धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वर पाने के लिए व्रत रखा जाता है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि मां ब्रह्मचारिणी एक हाथ में माला तो दूजे हाथ में कमंडल धारण कर रखी हैं। मां ब्रह्मचारिणी को तप की देवी भी कहा जाता है। धार्मिक मत है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मां की उपासना करने वाले साधकों को हमेशा विजय मिलती है। इसके लिए साधक श्रद्धा भाव से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं। अगर आप भी मां ब्रह्मचारिणी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं और जीवन में व्याप्त परेशानियों से निजात पाना चाहते हैं, तो शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन विधिपूर्वक मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें। वहीं, पूजा के समय निम्न मंत्रों का जप करें।

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मां ब्रह्मचारिणी मंत्र

1. दधाना कर पद्माभ्यामक्ष माला कमण्डलु ।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ।।

2. या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

3. तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।

ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

4. शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।

शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥

5. ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:

6. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।

मां दुर्गा मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

देवी कवच

त्रिपुरा में हृदयेपातुललाटेपातुशंकरभामिनी।

अर्पणासदापातुनेत्रोअर्धरोचकपोलो॥

पंचदशीकण्ठेपातुमध्यदेशेपातुमहेश्वरी॥

षोडशीसदापातुनाभोगृहोचपादयो।

अंग प्रत्यंग सतत पातुब्रह्मचारिणी॥

देवी स्तोत्र

वन्दे वांच्छितलाभायचन्द्रर्घकृतशेखराम्।

जपमालाकमण्डलुधराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥

गौरवर्णास्वाधिष्ठानास्थितांद्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।

धवल परिधानांब्रह्मरूपांपुष्पालंकारभूषिताम्॥

पद्मवंदनापल्लवाराधराकातंकपोलांपीन पयोधराम्।

कमनीयांलावण्यांस्मेरमुखीनिम्न नाभि नितम्बनीम्॥

तपश्चारिणीत्वंहितापत्रयनिवारिणीम्।

ब्रह्मरूपधराब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

नवचक्रभेदनी त्वंहिनवऐश्वर्यप्रदायनीम्।

धनदासुखदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

शंकरप्रियात्वंहिभुक्ति-मुक्ति दायिनी।

शान्तिदामानदा,ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्।

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