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Shardiya Navratri 2024 Day 4: मां कुष्मांडा की पूजा में करें इस स्तोत्र का पाठ, सभी कार्यों में मिलेगी सफलता

सनातन धर्म में मां दुर्गा को समर्पित शारदीय नवरात्र को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। पंचांग के अनुसार इस बार शारदीय नवरात्र का शुभारंभ 03 अक्टूबर से हुआ है। वहीं इसका समापन 11 अक्टूबर को होगा। इस 9 दिन मां दुर्गा के अलग-अलग की रूपों की पूजा-अर्चना करने का विधान है। चौथे दिन मां कुष्मांडा (Maa kushmanda) की विधिपूर्वक उपासना की जाती है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sat, 05 Oct 2024 05:47 PM (IST)
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Shardiya Navratri 2024: इस स्तोत्र के पाठ से प्रसन्न होंगी मां कुष्मांडा

धर्म डेक्स, नई दिल्ली। सनातन शास्त्रों में मां दुर्गा के 9 रूपों का विशेष महत्व है। शारदीय नवरात्र का चौथा दिन (Shardiya Navratri 2024 Day 4) मां कुष्मांडा को समर्पित होता है। चौथे दिन विधिपूर्वक मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना (Maa kushmanda Puja Vidhi) की जाती है। साथ ही मनोकामना पूर्ति हेतु व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मां कुष्मांडा की उपासना करने से जातक को सभी तरह के शारीरिक और मानसिक कष्टों से छुटकारा मिलता है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। यदि आप भी मां कुष्मांडा की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो मां कुष्मांडा की पूजा के दौरान इस लेख में दिया गया स्तोत्र का पाठ करें। मान्यता है कि इसका पाठ करने से जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

मां कुष्मांडा देवी स्तोत्र

वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

सिंहरूढा अष्टभुजा कुष्माण्डा यशस्वनीम्॥

भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।

कमण्डलु चाप, बाण, पदमसुधाकलश चक्र गदा जपवटीधराम्॥

पटाम्बर परिधानां कमनीया कृदुहगस्या नानालंकार भूषिताम्।

मंजीर हार केयूर किंकिण रत्‍‌नकुण्डल मण्डिताम्।

प्रफुल्ल वदनां नारू चिकुकां कांत कपोलां तुंग कूचाम्।

कोलांगी स्मेरमुखीं क्षीणकटि निम्ननाभि नितम्बनीम् ॥

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स्त्रोत

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्।

जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

जगन्माता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।

चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

त्रैलोक्यसुंदरी त्वंहि दु:ख शोक निवारिणाम्।

परमानंदमयी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

देवी कवच

हसरै मे शिर: पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्।

हसलकरीं नेत्रथ, हसरौश्च ललाटकम्॥

कौमारी पातु सर्वगात्रे वाराही उत्तरे तथा।

पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।

दिग्दिध सर्वत्रैव कूं बीजं सर्वदावतु॥

मां कुष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल की चर्तुथी तिथि की शुरुआत 06 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 49 मिनट से होगी। वही, इसका समापन 07 अक्टूबर को 09 बजकर 47 मिनट पर होगा।

शुभ मुहूर्त

रवि योग - सुबह 06 बजकर 17 मिनट से अगले दिन मध्य रात्रि 12 बजकर 11 मिनट तक

ब्रह्म मुहूर्त - 04 बजकर 39 मिनट से 05 बजकर 28 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 06 मिनट से 02 बजकर 53 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 03 मिनट से 06 बजकर 28 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।