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Shardiya Navratri के पहले दिन इस सरल विधि से करें मां शैलपुत्री की पूजा, चमक उठेगी फूटी किस्मत

शारदीय नवरात्र के दौरान जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्र का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है। मां शैलपुत्री की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। इसके लिए साधक भक्ति भाव से मां शैलपुत्री (Shardiya Navratri 2024) की पूजा करते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 02 Oct 2024 06:00 PM (IST)
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Shardiya Navratri 2024: मां शैलपुत्री को कैसे प्रसन्न करें ?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2024) की शुरुआत होती है। शारदीय नवरात्र के दौरान विधि-विधान से मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। साथ ही मां दुर्गा के निमित्त व्रत रखा जाता है। नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। धार्मिक मत है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही सुख और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है। अगर आप भी मां मां शैलपुत्री की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो नवरात्र के पहले दिन विधि-विधान और भक्ति भाव से मां शैलपुत्री की पूजा करें। आइए, पूजा विधि एवं मंत्र जानते हैं।

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मां का स्वरूप

सनातन शास्त्रों में निहित है कि मां शैलपुत्री बेहद दयालु और कृपालु हैं। अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। उनकी कृपा से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। मां के मुखमंडल पर कांतिमय तेज है। इस तेज से तीनों लोकों का कल्याण होता है। मां दो भुजाधारी हैं। एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में पुष्प धारण कर रखी हैं। मां की वृषभ (बैल) की सवारी करती हैं।

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, 03 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 15 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 22 मिनट तक है। वहीं, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक है। इन दोनों शुभ योग में घटस्थापना कर मां शैलपुत्रीकी पूजा कर सकते हैं।

पूजा विधि

साधक ब्रह्म बेला में उठें। इस समय मां शैलपुत्री को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। अब घर की साफ-सफाई करें। साथ ही घर में गंगाजल का छिड़काव करें। दैनिक कार्यों से निवृत होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय अंजिल में जल लेकर आचमन करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद लाल रंग के कपड़े धारण करें। अब सबसे पहले सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद पूजा घर में चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर मां की प्रतिमा या चित्र और कलश स्थापित करें। अब मां का आह्वान निम्न मंत्रों से करें-

1. वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

2. या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

अब पंचोपचार कर विधिपूर्वक मां शैलपुत्री की पूजा करें। पूजा के समय मां शैलपुत्री को सफेद रंग का पुष्प, फल, वस्त्र, श्रीफल, हल्दी, चंदन, पान, सुपारी, मिष्ठान आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के समय चालीसा, स्तोत्र का पाठ एवं मंत्र जप करें। वहीं, पूजा का समापन मां शैलपुत्री की आरती से करें। इसके बाद मां शैलपुत्री से आय और सुख में वृद्धि और दुखों से मुक्ति पाने की कामना करें। दिन के समय व्रत रखें। शाम होने पर आरती-अर्चना करने के बाद फलाहार करें। इस समय की मां की महिमा का गुणगान भजन कीर्तन के द्वारा करें।

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